
पाकिस्तान बार-बार यह प्रचार करता है कि भारत उसकी जमीन पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, खासकर बलूच विद्रोहियों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के जरिए। यह आरोप पाकिस्तान की सेना खासतौर पर जोर-शोर से पेश करती है।
पहलगाम हमले और सैन्य कार्रवाई पर गलत बयानबाजी
पाकिस्तान दावा करता है कि भारत ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान के आतंकियों के लिंक का कोई सबूत नहीं दिया, फिर भी बिना वजह हमला किया। भारत ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (लश्कर-ए-तैयबा का एक समूह) को जिम्मेदार बताया है। पाकिस्तान यह भी गलत कहता है कि उसने भारत को युद्ध में हराया और अमेरिका से हस्तक्षेप मांगा; असल में युद्ध रोकने की मांग पाकिस्तान ने की थी।
परमाणु खतरा और हिंसा की बढ़ती सीढ़ी
दो परमाणु देशों के बीच किसी भी लड़ाई से परमाणु युद्ध की संभावना बढ़ जाती है, जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। भारत अब आतंकवाद को इस बढ़ती हिंसा की पहली सीढ़ी मानता है, यानी आतंकवादी हमले के बाद ही कड़ी कार्रवाई शुरू होगी।
सिंधु जल संधि का मुद्दा
पाकिस्तान कहता है कि भारत सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन खुद भी इसका फायदा उठाते हुए भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। भारत ने साफ कर दिया है कि बातचीत सिर्फ आतंकवाद और भारत की कब्जा की गई जमीन की वापसी पर होगी।
राजनीतिक बयान और आरोप
पाकिस्तान आरोप लगाता है कि भारत की सरकार मुसलमानों के खिलाफ है और युद्ध की हिड़कुला मचा रही है। भारत इन आरोपों का खंडन करता है लेकिन इस मामले में और भी काम करने की जरूरत है। पाकिस्तान की सेना और सरकार मिलकर एकजुट होकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात रख रही है।
धार्मिक शब्दों के जरिए राजनीतिक मुद्दों को रंगना
पाकिस्तान बलूच विद्रोहियों को ‘फितना अल हिंदुस्तान’ (विद्रोही और हिन्दुस्तान के एजेंट) कहकर इस राजनीतिक समस्या को धार्मिक रंग देने की कोशिश करता है। टीटीपी को भी ‘फितना अल खवारिज’ कहकर, जो एक धार्मिक अपशब्द है, भारत का साथ देने वाला बताया जाता है।









