
देश में किसानों के लिए डिजिटल क्रांति तेज़ी से बढ़ रही है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों के सहयोग से अब तक 6.1 करोड़ (61 मिलियन) किसानों को डिजिटल आईडी (Kisan Pehchaan Patra) जारी किए जा चुके हैं। ये आईडी सीधे किसानों की जमीन, फसल और अन्य जरूरी जानकारी से जुड़े हुए हैं।
क्या है किसान पहचान पत्र?
किसान पहचान पत्र (Kisan ID) एक यूनिक डिजिटल आईडी है जो किसान के नाम, उसकी जमीन की स्थिति, बोई गई फसल और अन्य कृषि संबंधित जानकारी को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखती है। यह पहचान आधार कार्ड की तरह काम करेगा, लेकिन खासतौर पर कृषि सेवाओं के लिए।
लक्ष्य 11 करोड़ किसानों तक पहुंचने का
सरकार का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2026-27 (FY27) तक 11 करोड़ किसानों को यह यूनिक ID दे दी जाए। इसके जरिए PM-Kisan स्कीम, फसल बीमा, और कृषि ऋण जैसी योजनाएं तेजी से और पारदर्शिता के साथ मिल सकेंगी।
किन राज्यों में सबसे ज़्यादा IDs जारी हुईं?
| राज्य | जारी किसान IDs |
|---|---|
| उत्तर प्रदेश | 1.3 करोड़ |
| महाराष्ट्र | 99 लाख |
| मध्य प्रदेश | 83 लाख |
| राजस्थान | 75 लाख |
| आंध्र प्रदेश | 45 लाख |
| गुजरात | 44 लाख |
| तमिलनाडु | 30 लाख |
इसके अलावा बिहार, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल, तेलंगाना और अन्य राज्यों में भी तेजी से IDs तैयार हो रही हैं।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
भविष्य की तैयारी
सरकार ने पिछले साल ₹2,817 करोड़ की लागत से Digital Agriculture Mission शुरू किया है, जिसमें
- AgriStack,
- डिजिटल फसल सर्वे,
- मिट्टी की उर्वरता प्रोफाइल जैसी योजनाएं शामिल हैं।
Kharif 2025 से सभी राज्यों में डिजिटल फसल सर्वे शुरू हो चुका है।









