भारतीय बैंकों को राहत की खबर, घरेलू मांग के सहारे एसेट क्वालिटी बनी रहेगी बेहतर

मूडीज़ रेटिंग्स के अनुसार, भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था आने वाले 12 महीनों में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगी। एनपीएल दर 2-3% के भीतर रहने का अनुमान।

दुनियाभर में बढ़ती आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच मूडीज़ रेटिंग्स (Moody’s Ratings) ने भारत को लेकर एक सकारात्मक पूर्वानुमान जारी किया है। मूडीज़ का कहना है कि भारत की मजबूत घरेलू आर्थिक स्थितियाँ अगले 12 महीनों में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality) को स्थिर बनाए रखेंगी। इसके चलते देश का गैर-निष्पादित ऋण (NPL) अनुपात 2-3% के भीतर रहने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure), मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में राहत, और मौद्रिक सहजता (Monetary Easing) जैसे कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली को स्थायित्व मिलेगा और कर्जों का प्रदर्शन बेहतर बना रहेगा।

कॉरपोरेट और खुदरा ऋणों का विश्लेषण

मूडीज़ के अनुसार, कॉरपोरेट सेक्टर में लाभप्रदता बेहतर बनी हुई है और कंपनियों पर कर्ज का बोझ कम है, जिससे कॉरपोरेट ऋणों की गुणवत्ता मजबूत है। हालांकि असुरक्षित खुदरा ऋणों (Unsecured Retail Loans) में थोड़ा जोखिम बना रहेगा। रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ तिमाहियों में ऐसे ऋणों में एनपीएल दर बढ़ी है, खासकर छोटे निजी बैंकों में।

बैंकिंग सेक्टर के लिए पॉजिटिव आउटलुक

बैंकिंग सेक्टर के व्यापक दृष्टिकोण को लेकर मूडीज़ आशावादी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े निजी बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपेक्षाकृत अधिक स्थिर प्रदर्शन करेंगे, जबकि छोटे निजी बैंकों को असुरक्षित ऋणों के चलते अधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

वैश्विक दबाव के बावजूद भारत की मजबूती

वैश्विक व्यापार तनाव और अनिश्चितता के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था की घरेलू मांग, कम व्यापारिक निर्भरता और सतर्क वित्तीय प्रबंधन उसे वैश्विक झटकों से बचाए रखेगा। मूडीज़ का अनुमान है कि यह मजबूती बैंकिंग क्षेत्र की सेहत बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

मूडीज़ की इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत की मजबूत आंतरिक नीतियां और स्थिर विकास दर न केवल देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाए हुए हैं, बल्कि बैंकिंग सेक्टर को भी स्थायित्व प्रदान कर रही हैं। ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं अस्थिरता से जूझ रही हैं, भारत का यह संतुलित प्रदर्शन एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।

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