
संकट में फंसे भारतीयों के लिए जीवनरेखा बना ऑपरेशन सिंधु
नई दिल्ली: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब बात अपने नागरिकों की सुरक्षा की हो, तो देश कभी पीछे नहीं हटता। 18 जून को शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंधु” के तहत अब तक ईरान से 3,426 और इज़राइल से 818 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित घर वापस लाया जा चुका है।
मल्टी-कंट्री एयरलिफ्ट ऑपरेशन से चला रेस्क्यू मिशन
विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह मिशन कितना व्यापक और जटिल था। उन्होंने कहा,
“ईरान में लगभग 10,000 और इज़राइल में 40,000 भारतीय नागरिक रहते हैं। हमने माशहद, येरेवान (आर्मीनिया) और अश्गाबात (तुर्कमेनिस्तान) से अब तक 14 उड़ानें चलाईं।”
केवल भारतीय ही नहीं, पड़ोसी देशों के नागरिक भी हुए शामिल
- 11 OCI कार्डधारक
- 9 नेपाल नागरिक
- कुछ श्रीलंकाई नागरिक
- और एक ईरानी महिला, जो भारतीय नागरिक की पत्नी हैं — सभी को सुरक्षित निकाला गया।
ईरान से आखिरी फ्लाइट गुरुवार शाम को भारत पहुंची, जिससे ईरान वाला चरण पूरा हो गया।
इज़राइल से रेस्क्यू हुआ और भी चुनौतीपूर्ण
इज़राइल में एयरस्पेस बंद होने के कारण, भारतीय नागरिकों को पहले जॉर्डन और मिस्र के ज़रिए ज़मीनी रास्ते से निकाला गया। वहां से चार विशेष उड़ानों द्वारा भारत लाया गया। MEA ने इज़राइल, मिस्र और जॉर्डन की सरकारों को इस सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
संकट में संजीवनी बनी कूटनीति
रणधीर जायसवाल ने कहा:
“हम ईरान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मीनिया, जॉर्डन और मिस्र की सरकारों के आभारी हैं, जिन्होंने एयरस्पेस और बॉर्डर खोले और हमारे मिशन को सफल बनाया।”
एक और शानदार बचाव अभियान की कहानी
ऑपरेशन सिंधु अब भारत के उन हाई-प्रोफाइल बचाव अभियानों की सूची में जुड़ गया है, जिसने संकट के समय भारत की ग्लोबल ह्युमनिटेरियन नेतृत्व की छवि को और मजबूत किया है। यह ऑपरेशन दर्शाता है कि “मोदी सरकार की विदेश नीति” अब केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय मूल्य पर भी केंद्रित है।









