भारत 2025-26 में भी रहेगा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था: मॉर्गन स्टैनली रिपोर्ट

नई दिल्ली। वैश्विक निवेश फर्म मॉर्गन स्टैनली की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कमेटी (GIC) की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आने वाले वर्षों में भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर Q4 पर Q4 आधार पर 5.9% रहने की उम्मीद है, जबकि 2026 में यह बढ़कर 6.4% तक पहुंच सकती है।

रिपोर्ट में साफ कहा गया है, “हमारे कवरेज में भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा, जिसमें 2025 में 5.9% और 2026 में 6.4% की रियल GDP वृद्धि दर देखी गई है।”

मॉर्गन स्टैनली की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कमेटी, अनुभवी निवेश विशेषज्ञों का एक समूह है, जो दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं और वित्तीय बाजारों की समीक्षा करता है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2025 में भारी मंदी देखने को मिल सकती है। 2024 में 3.5% रही वैश्विक रियल GDP वृद्धि दर 2025 में घटकर मात्र 2.5% रहने का अनुमान है।

अमेरिका-चीन-यूरोप की रफ्तार होगी धीमी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिका की जीडीपी वृद्धि 2025 और 2026 में गिरकर मात्र 1.0% पर पहुंच जाएगी, जो 2024 में 2.5% थी। यूरोज़ोन की स्थिति भी कुछ खास नहीं रहेगी और वहां निजी उपभोग और निर्यात की कमजोरी के चलते वृद्धि दर 1% से ऊपर नहीं जाएगी।

चीन की अर्थव्यवस्था भी कमजोर रहेगी, जिसमें 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 4.0% और 2026 में 4.2% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार पर लगने वाले शुल्क चीन की वृद्धि को लगभग 0.5 प्रतिशत अंकों तक कम कर सकते हैं। जापान में व्यापार झटका निर्यात को प्रभावित कर सकता है, लेकिन वहां उपभोक्ता खर्च मजबूत रहने की उम्मीद है।

भारत, सिंगापुर और UAE पर ‘ओवरवेट’ दांव

इन वैश्विक चुनौतियों के बीच, एशिया-पैसिफिक और उभरते बाजारों में भारत, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को लेकर रिपोर्ट में सकारात्मक दृष्टिकोण रखा गया है। मॉर्गन स्टैनली की टीम ने इन देशों पर ‘ओवरवेट’ की रेटिंग दी है, जिसका अर्थ है कि वहां नीतिगत सुधार और घरेलू मांग की मजबूती अगले डेढ़ साल तक निवेश के लिए बेहतर माहौल बनाए रखेगी।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारतीय शेयर बाजार की वैल्यूएशन ऐतिहासिक स्तरों की तुलना में महंगी है, लेकिन मजबूत घरेलू खुदरा और संस्थागत निवेश इसे बनाए रखने में मदद करेंगे।

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