
BIHAR. वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण (Special Electoral Roll Revision) के खिलाफ INDIA गठबंधन ने बुधवार को बिहार बंद का आह्वान किया। इस दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, सीपीआईएम, वाम दलों और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने पटना में प्रदर्शन किया और निर्वाचन आयोग के कार्यालय का घेराव किया।
राहुल गांधी का बड़ा आरोप
राहुल गांधी ने प्रदर्शन स्थल से बोलते हुए कहा लोकसभा चुनाव, महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे अलग-अलग क्यों आए? क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले 1 करोड़ नए मतदाता जोड़े गए, और जिन सीटों पर मतदाता बढ़े, वहां भाजपा जीत गई। हमने जब चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट मांगी, वह चुप हो गया। उन्होंने आगे कहा बिहार में भी वही करने की साजिश है, लेकिन ये बिहार है, यहाँ के लोग अपना हक छीनने नहीं देंगे। हम इसे हर हाल में रोकेंगे।”
युवाओं की ताकत से टकराएगा फर्जीवाड़ा : तेजस्वी यादव
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा बिहार के युवाओं को वोट से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। हम जनता की आवाज़ बनकर सड़कों पर उतरे हैं। यह सिर्फ एक चुनावी मुद्दा नहीं, लोकतंत्र की आत्मा का सवाल है।
प्रदर्शन से कई शहरों में जनजीवन प्रभावित
पटना, आरा, दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर, और समस्तीपुर समेत कई जिलों में चक्का जाम और धरना प्रदर्शन किया गया।कई इलाकों में रेल और सड़क मार्ग पर आवागमन बाधित रहा। व्यापारिक प्रतिष्ठान आंशिक रूप से बंद रहे, जबकि निजी स्कूलों में उपस्थिति कम रही।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने अब तक इस प्रदर्शन पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया राज्य सरकार की सहमति और समयबद्ध कार्यक्रम के तहत संचालित की जाती है।
क्या है विवाद की जड़?
बिहार में इस समय विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) चल रहा है, जिसका मकसद नए वोटर जोड़ना और पुराने रिकॉर्ड को अपडेट करना है लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में भाजपा के इशारे पर मनमाने तरीके से मतदाता हटाए और जोड़े जा रहे हैं, जिससे निष्पक्ष चुनाव की संभावनाएं प्रभावित होंगी।
बिहार में यह मुद्दा राजनीतिक टकराव का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।
INDIA गठबंधन ने साफ किया है कि जब तक मतदाता सूची की पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं होती, तब तक वह लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रखेगा। वहीं भाजपा और चुनाव आयोग अभी तक इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।









