बिहार वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, आयोग के फैसले को दी गई चुनौती

LUCKNOW. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग दोनों की ओर से दलीलें पेश की गईं, वहीं शीर्ष अदालत ने भी अहम टिप्पणियां करते हुए कई सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है, लेकिन आयोग को यह प्रक्रिया काफी पहले शुरू करनी चाहिए थी, ताकि आगामी चुनाव से पहले यह पूरी हो जाती। शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि आख़िर चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?

चुनाव आयोग की दलील

सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी, केके वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह ने आयोग की ओर से पक्ष रखा। आयोग ने कहा कि उन्हें इन याचिकाओं पर कुछ प्रारंभिक आपत्तियां हैं। आयोग ने यह भी बताया कि मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया अब भी जारी है और इसे अंतिम रूप दिए जाने से पहले अदालत को जानकारी दी जाएगी।

सुनवाई के दौरान जब न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि सूची एक बार अधिसूचित हो जाने के बाद अदालत कुछ नहीं कर पाएगी, तब आयोग ने आश्वस्त किया कि फाइनल लिस्ट से पहले सभी पक्षों को अवगत कराया जाएगा।

याचिकाकर्ता की आपत्तियां

सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने याचिकाकर्ता की ओर से कहा कि SIR की प्रक्रिया मनमाने तरीके से चलाई जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को पुनरीक्षण में क्यों नहीं स्वीकार किया जा रहा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरी प्रक्रिया लगभग 7.9 करोड़ लोगों को प्रभावित करेगी, इसलिए इसकी पारदर्शिता और वैधता सुनिश्चित करना जरूरी है। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत संशोधन की अनुमति तो है, लेकिन इसके लिए समय, विधि और संतुलन जरूरी है।

कोर्ट ने क्या पूछा?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या नियमों में SIR कराने का समय तय है? अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग को यह अधिकार जरूर है, लेकिन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है।

अगली सुनवाई में रखी जाएगी विस्तृत दलील

कोर्ट ने संकेत दिया कि वह आयोग की प्रक्रिया और याचिकाकर्ता की आपत्तियों को गंभीरता से सुनेगा। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि वह अंतिम मतदाता सूची अधिसूचित करने से पहले अदालत को सभी विवरण सौंपेगा।

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