
Gautam Adani Resolve to make India healthy. देश के उद्योग जगत के दिग्गज और अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित ‘सोसाइटी फॉर मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी – एशिया पैसिफिक’ (SMISS-AP) के 5वें वार्षिक सम्मेलन में भारत के हेल्थ सेक्टर को पूरी तरह से बदलने का विजन पेश किया। उन्होंने घोषणा की कि अडानी समूह अब AI-आधारित, मल्टीडिसिप्लिनरी और विश्वस्तरीय लेकिन सस्ता हेल्थकेयर इकोसिस्टम तैयार करेगा।
अदाणी ने स्पष्ट कहा कि भारत को केवल धीरे-धीरे नहीं, बल्कि क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा हेल्थकेयर को अब धीरे-धीरे सुधार की नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली के पुनर्निर्माण की ज़रूरत है। केवल इंटेलिजेंस नहीं, बल्कि एम्पैथी के साथ क्रांति चाहिए।
60,000 करोड़ का पारिवारिक संकल्प
गौतम अदाणी ने बताया कि तीन साल पहले अपने 60वें जन्मदिन पर उनके परिवार ने स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास के लिए 60,000 करोड़ समर्पित करने का संकल्प लिया था। अब इसी के तहत ‘अडानी हेल्थकेयर टेम्पल’ की स्थापना की जाएगी।
अहमदाबाद और मुंबई में बनेंगे AI-फर्स्ट मेडिकल कैंपस
अदाणी ने बताया कि सबसे पहले अहमदाबाद और मुंबई में 1000-बेड वाले बड़े हेल्थकेयर कैंपस स्थापित किए जाएंगे। ये कैंपस AI-फर्स्ट, मॉड्यूलर और स्केलेबल होंगे जो महामारी या आपदा के समय तेजी से विस्तार कर सकें।
इन संस्थानों को Mayo Clinic जैसी विश्वस्तरीय संस्थाओं की डिज़ाइन, चिकित्सा नवाचार और अधोसंरचना विशेषज्ञता का मार्गदर्शन मिलेगा। अदाणी ने कहा हम भारत का भविष्य का हेल्थकेयर सिस्टम बना रहे हैं, जो इंटीग्रेटेड हो, इंटेलिजेंट हो, इनक्लूसिव हो और इंस्पायर्ड हो
स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए 5 स्तंभ
- पारंपरिक विभागों को तोड़ने वाला एकीकृत देखभाल
- मॉड्यूलर और स्केलेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर
- रोबोटिक्स और AI-आधारित शिक्षण प्रणाली
- नर्सिंग और पैरामेडिकल ट्रेनिंग में मजबूत निवेश
- कागज़ों की बजाय मरीज को प्राथमिकता देने वाला बीमा मॉडल
पीठ दर्द को बताया राष्ट्रीय चुनौती
अदाणी ने लोअर बैक पेन को देश में बढ़ती अक्षमता की बड़ी वजह बताया और कहा कि यह मधुमेह और दिल की बीमारियों से भी व्यापक है। अगर हमें अपने राष्ट्रीय संकल्पों का बोझ उठाना है, तो पहले देश की रीढ़ को ठीक करना होगा
ग्रामीण भारत पर विशेष जोर
भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की असमानता की ओर इशारा करते हुए अडानी ने बताया कि देश में 10,000 लोगों पर मात्र 20.6 डॉक्टर, नर्स और मिडवाइफ हैं, जबकि WHO मानक 44.5 का है। शहरी इलाकों में 74% डॉक्टर हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में भारी कमी है। उन्होंने मेडिकल उद्यमियों को आह्वान किया कि वे AI-पावर्ड स्पाइन डायग्नोस्टिक्स, रूरल सर्जिकल यूनिट्स और रोबोटिक सर्जरी सेंटर जैसे नए फ्रंटियर में आगे आएं।
शिक्षा, सेवा और समर्पण
अदाणी ने कहा कि अब डॉक्टरों को सिर्फ शरीर नहीं, बल्कि सिस्टम, सहानुभूति और नेतृत्व के साथ शिक्षा देनी होगी। जिस रीढ़ को आप आज बचाते हैं, वह किसी वैज्ञानिक, इंजीनियर या उद्यमी की हो सकती है जो कल देश को नई ऊंचाई दे, उन्होंने कहा। अंत में अदाणी ने देश के हेल्थ प्रोफेशनल्स से कहा भारत उठ नहीं सकता, यदि उसके लोग खड़े नहीं हो सकते। और लोग खड़े नहीं हो सकते यदि आपकी रीढ़ स्वस्थ नहीं है। आइए, हम मिलकर इस देश की रीढ़ बनाएं।









