UP Panchayat Election : चुनाव में आरक्षण पर बड़ा कदम…पारदर्शिता के लिए 6 सदस्यीय आयोग का प्रस्ताव

UP Panchayat Election 2025. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी और विवाद मुक्त बनाने के लिए पंचायती राज विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विभाग ने राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के लिए छह सदस्यीय आयोग का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर कैबिनेट की बैठक में लगेगी. आयोग की जनसंख्या संबंधी रिपोर्ट के आधार पर ही ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.

पंचायती राज विभाग ने आयोग के गठन के लिए प्रस्ताव भेजकर चुनावी तैयारियों को गति दे दी है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद आयोग का गठन होगा और जनसंख्या डेटा संकलन का कार्य शुरू होगा. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान संभव हो सकेगा.

जनसंख्या के आधार पर आरक्षण
2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की जनसंख्या 0.5677 प्रतिशत और अनुसूचित जातियों (एससी) की जनसंख्या 20.6982 प्रतिशत है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इन वर्गों के लिए इसी अनुपात में सीटें आरक्षित की जाएंगी. वहीं, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की व्यवस्था में विशेष सावधानी बरती जा रही है. किसी ब्लॉक में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से अधिक होने पर भी ग्राम प्रधान के पदों का आरक्षण 27 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. हालांकि, यदि किसी ब्लॉक में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से कम है, तो उसी अनुपात में आरक्षण लागू होगा. प्रदेश स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा.

विवाद से बचने की रणनीति
पिछले नगर निकाय चुनावों में ओबीसी जनसंख्या के प्रतिशत को लेकर हुए विवादों से सबक लेते हुए सरकार इस बार सतर्क है. नगर निकाय चुनावों में विवाद के बाद सरकार ने समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर जनसंख्या की सटीक जानकारी के आधार पर आरक्षण तय किया था. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है ताकि किसी तरह का विवाद न हो.

आयोग की भूमिका
प्रस्तावित राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग विभिन्न जिलों का दौरा कर ओबीसी की जनसंख्या के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करेगा. इसके बाद आयोग अपनी समग्र रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट के आधार पर ही आरक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी.

पंचायतीराज विभाग के इस कदम से न केवल आरक्षण की प्रक्रिया को निष्पक्ष और व्यवस्थित बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा. सरकार का लक्ष्य है कि सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व मिले और पंचायत चुनाव सुचारू रूप से संपन्न हों. आयोग के गठन और उसकी रिपोर्ट के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में और तेजी आएगी। इस बीच, पंचायतीराज विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए हैं.

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