
Indian Army Action. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक मोर्चा खोल दिया है। जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारतीय सशस्त्र बलों ने महज 22 सेकंड में पाकिस्तान और PoJK स्थित 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया, वहीं अब ‘ऑपरेशन महादेव’ के जरिए सुरक्षाबलों ने हमले में शामिल आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया है।
ऑपरेशन महादेव : तीनों हमलावर मारे गए
बीते सोमवार को चलाए गए इस ऑपरेशन में भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त दल ने पहलगाम हमले से सीधे तौर पर जुड़े तीन आतंकियों को श्रीनगर के बाहरी इलाके में मार गिराया। इनमें सबसे चर्चित नाम रहा ताहिर हबीब का, जो न सिर्फ हमले का मास्टरमाइंड था, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य और पाकिस्तानी सेना का पूर्व जवान भी था।
ताहिर हबीब : पाकिस्तानी सेना से आतंकी बनने तक
ताहिर का आतंकी सफर बेहद चिंताजनक और पाकिस्तान के सैन्य-आतंकी गठजोड़ की पोल खोलने वाला है। शुरुआती दौर में इस्लामी जमीयत तालबा (IJT) और स्टूडेंट लिबरेशन फ्रंट (SLF) से जुड़ा ताहिर बाद में पाकिस्तानी सेना में भर्ती हुआ। उसका संबंध सदोजई पठान समुदाय से था, जो अतीत में पूंछ विद्रोह जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों में सक्रिय रहा है। खुफिया रिकॉर्ड में वह ‘अफगानी’ कोडनेम से जाना जाता था।
जनाजे में सामने आई पाकिस्तान की असलियत
ताहिर के मारे जाने की खबर के बाद उसका जनाना-ए-गायब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट स्थित खाई गाला गांव में आयोजित हुआ। इस दौरान लश्कर के स्थानीय कमांडर रिजवान हनीफ के जनाजे में शामिल होने की कोशिश ने हालात बिगाड़ दिए। ताहिर के परिजनों और ग्रामीणों ने आतंकियों की मौजूदगी का विरोध किया और लश्कर कमांडर को जनाजे से खदेड़ दिया।
हथियारों के बल पर धमकाने की कोशिश
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लश्कर के आतंकियों ने गांव वालों को बंदूक दिखाकर धमकाने की कोशिश की, लेकिन इस बार जनता झुकी नहीं। खाई गाला के लोग पहले से ही आतंकवाद से त्रस्त हैं और अब उन्होंने खुलेआम आतंकियों की भर्ती का बहिष्कार करने की योजना बनाई है। यह घटनाक्रम PoJK में बदलते जनमानस का प्रमाण है।
रणनीतिक दृष्टिकोण : भारत का डोमिनेटिंग स्टैंड
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ दोनों भारत की एक नई सैन्य-राजनीतिक रणनीति की पुष्टि करते हैं, सीमा पार कार्रवाई से लेकर, स्थानीय स्तर पर टारगेटेड ऑपरेशन तक, भारत अब न सिर्फ रक्षात्मक नहीं बल्कि प्रो-एक्टिव रणनीति पर चल रहा है।
- आतंकियों के जनाजे में लश्कर की उपस्थिति और उसका विरोध इस बात का प्रमाण है कि PoJK में अब आतंकवाद के खिलाफ जन जागरूकता बढ़ रही है।
- भारतीय खुफिया तंत्र की सूचनाएं अब इतनी सटीक हैं कि घटनाओं के हफ्तों के भीतर ही प्रतिकारात्मक ऑपरेशन संपन्न हो रहे हैं।
वैश्विक संदेश : पाकिस्तान की आतंक नीति बेनकाब
ताहिर हबीब की पृष्ठभूमि और जनाजे में लश्कर की मौजूदगी इस बात की पुष्टि करती है कि पाकिस्तान सेना और आतंकी संगठनों में कोई विभाजन रेखा नहीं है। ये न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत हैं।
- जनाजा राजनीतिक नहीं, रणनीतिक बयान बन गया है, जहां PoJK के लोग खुद पाकिस्तान के आतंक नेटवर्क से नाराज हैं।
- यह घटना संयुक्त राष्ट्र और FATF जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत सबूत के तौर पर रखी जा सकती है।
आतंक के खिलाफ निर्णायक दौर
ताहिर हबीब की मौत और उसके बाद की घटनाएं भारत की सैन्य नीति की सफलता का प्रमाण हैं। PoJK में जनता का बदलता रुख यह दर्शाता है कि अब वहां भी आतंकवाद के खिलाफ माहौल बन रहा है। ऑपरेशन महादेव’ सिर्फ एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक संकेत है, अब भारत केवल हमलों का जवाब नहीं देता, बल्कि आतंकवाद की जड़ पर वार करता है।









