
वॉशिंगटन: अमेरिका ने ट्रम्प प्रशासन के तहत कई देशों के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का कदम उठाया, लेकिन भारत की फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री को 50% आयात टैक्स से बाहर रखा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका के स्वास्थ्य क्षेत्र और घरेलू दवा आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए उठाया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय दवाइयाँ अमेरिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विशेषकर जेनेरिक दवाओं में। यदि इन पर भारी टैरिफ लगाया जाता, तो अमेरिकी जनता को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता था। इसके अलावा, फार्मा उद्योग की निरंतर आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखना भी अमेरिका की प्राथमिकता रही।
इस फैसले ने भारतीय फार्मा कंपनियों को राहत दी है और दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में स्थिरता बनाए रखने में मदद की है।









