
पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी नेता डॉ. एसटी हसन ने संभल हिंसा की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में जो बातें सामने आई हैं, उसमें स्पष्ट है कि इलाके में डेमोग्राफिक बदलाव हुए हैं और कुछ लोग पलायन कर गए हैं। लेकिन इसे हिंदू-मुस्लिम की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि देश आज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें हमें छोटी-छोटी राजनीतिक खींचतान में उलझने के बजाय बड़ी चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए।
डॉ. एसटी हसन ने बताया कि बहुत से लोग कारोबार या रोज़गार के लिए शहर छोड़ते हैं, इसमें हिंदू भी जाते हैं और मुसलमान भी। कुछ लोग डर के कारण भी पलायन करते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में यह डर प्रमुख कारण नहीं होता। उन्होंने कहा, “कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुस्लिम आबादी बहुत कम है, फिर भी हिंदू और मुसलमान आपस में प्रेम और सहयोग के साथ रहते हैं। लेकिन आज की राजनीति ने हमारे बीच अविश्वास और शक की स्थिति पैदा कर दी है।”
पूर्व सांसद ने जोर देकर कहा कि समाज में दरारें सिर्फ राजनीति की वजह से पैदा हुई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि डॉक्टर के रूप में उन्होंने देखा है कि हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे को रक्तदान करते हैं, जान बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी भी लगा देते हैं। लेकिन सियासत ने नफरत फैलाकर समाज को एक-दूसरे से दूर कर दिया, जिसका परिणाम देश के लिए खतरे का कारण बन सकता है।
रिपोर्ट पर भरोसा नहीं:
डॉ. एसटी हसन ने कहा कि वे आयोग की रिपोर्ट पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकते। उनका कहना था कि रिपोर्ट के आंकड़े सही नहीं लगते, और संभल के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र को देखते हुए इसे हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से जोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि रिपोर्ट की तसदीक जनसंख्या के आँकड़ों के साथ की जानी चाहिए।
आतंकी संगठनों पर कार्रवाई जरूरी:
जब उनसे पूछा गया कि हिंसा के दौरान आतंकवादी संगठनों के लोग भी देखे गए थे, तो डॉ. हसन ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। ऐसे तत्वों पर कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें कानून के तहत जेल में डाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन को निडर और सुरक्षित माहौल बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
डॉ. एसटी हसन का निष्कर्ष स्पष्ट था: “हिंदू-मुस्लिम को लेकर राजनीति करना देश के लिए हानिकारक है। हमें एक-दूसरे पर शक करने की बजाय भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।”









