The Great Nicobar Project : भारत बनेगा इंडो-पैसिफिक का शक्तिशाली केंद्र, मोदी सरकार ने रचा इतिहास!

भारत सरकार की ₹75,000 करोड़ की ग्रेट निकोबार परियोजना, जो रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, निकोबार द्वीप को एक वैश्विक व्यापार, परिवहन और पर्यटन केंद्र में बदलने की योजना है। यह परियोजना Indo-Pacific क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार ने ग्रेट निकोबार द्वीप को देश का सामरिक और आर्थिक गढ़ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। ₹75,000 करोड़ की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के जरिए निकोबार द्वीप समूह को वैश्विक व्यापार, परिवहन और पर्यटन का केंद्र बनाया जाएगा, जो भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में देश की स्थिति को मजबूत करेगा। हालांकि, कांग्रेस पार्टी इस परियोजना का विरोध कर रही है, जो उसकी उसी पुरानी मानसिकता को दर्शाता है जो देश के विकास में बाधक रही है।

परियोजना के प्रमुख घटक

  • अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (ICTT): गलतेहिया बे में स्थित यह टर्मिनल 16 मिलियन TEUs की क्षमता के साथ भारत को एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब बनाएगा।
  • ग्रीनफील्ड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा: 2050 तक प्रति घंटे 4,000 यात्रियों की क्षमता वाला यह हवाई अड्डा निकोबार को मुख्य भूमि भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ेगा।
  • आधुनिक टाउनशिप: 3-4 लाख लोगों के लिए आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत विकास की योजना।
  • 450 MVA गैस और सौर आधारित पावर प्लांट: स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने वाला संयंत्र।

सामरिक और आर्थिक लाभ
निकोबार द्वीप की रणनीतिक स्थिति, जो इंडोनेशिया से केवल 150 किमी दूर है, भारत को महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर निगरानी रखने की क्षमता प्रदान करेगी। INS बाज़ एयरबेस के निकटता से क्षेत्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। इस परियोजना से व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास होगा।

पर्यावरण और आदिवासी हितों का संरक्षण
मोदी सरकार ने परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए कठोर उपाय किए हैं। वन्यजीव संस्थान और वन्यजीव संरक्षण संस्थाओं के साथ मिलकर जैव विविधता की निगरानी की जाएगी। आदिवासी समुदायों, जैसे निकोबारी और शोम्पेन, के कल्याण के लिए पुनर्वास योजनाएँ बनाई गई हैं, जो उनकी पारंपरिक जीवनशैली का सम्मान करती हैं।

कांग्रेस का विरोध – देश के विकास में बाधक
कांग्रेस पार्टी ने इस परियोजना का विरोध किया है, इसे पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के लिए खतरा बताते हुए। यह विरोध कांग्रेस की उसी पुरानी रणनीति का हिस्सा है जो अतीत में सेमीकंडक्टर और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में देश के विकास को बाधित कर चुकी है। मोदी सरकार ने इन क्षेत्रों में जहाँ भारत को वैश्विक पहचान दिलाई है, वहीं कांग्रेस के शासनकाल में इन क्षेत्रों में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई।

ग्रेट निकोबार परियोजना भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मोदी सरकार का यह कदम देश के सामरिक और आर्थिक हितों के अनुरूप है, जबकि कांग्रेस का विरोध देश के विकास में बाधक साबित हो रहा है। यह परियोजना भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी भूमिका को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम है।

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