
शिमला: हिमाचल प्रदेश का कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व (CDBR) अब आधिकारिक तौर पर UNESCO की World Network of Biosphere Reserves (WNBR) सूची में शामिल हो गया है। यह 7,770 वर्ग किमी क्षेत्र लाहौल-स्पीति ज़िले में फैला है और अब अंतरराष्ट्रीय संरक्षण मानचित्र पर अपनी जगह बना चुका है। इसके साथ ही भारत के अब 13 बायोस्फीयर रिज़र्व WNBR में दर्ज हो चुके हैं।
UNESCO ने शनिवार को घोषणा की कि इस बार 21 देशों के 26 नए बायोस्फीयर रिज़र्व शामिल किए गए हैं, जो पिछले 20 वर्षों में सबसे बड़ा इज़ाफ़ा है। अब WNBR में 142 देशों के 785 साइट्स शामिल हैं।
हिमाचल के कोल्ड डेजर्ट की खासियत
यह रिज़र्व ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में स्थित है और इसमें पिन वैली नेशनल पार्क, किब्बर वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी, चंद्रताल वेटलैंड और सार्चू मैदान शामिल हैं। यहाँ ऊँचाई 3,300 मीटर से 6,600 मीटर तक फैली है।
- क्षेत्र तीन ज़ोन में बंटा है — कोर (2,665 वर्ग किमी), बफर (3,977 वर्ग किमी) और ट्रांजिशन (1,128 वर्ग किमी)।
- यहाँ 655 हर्ब्स, 41 झाड़ियां और 17 वृक्ष प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 14 स्थानिक और 47 औषधीय पौधे शामिल हैं।
- वन्यजीवों में स्नो लेपर्ड को फ्लैगशिप प्रजाति माना जाता है। इसके अलावा हिमालयन आइबेक्स, हिमालयन वुल्फ और 119 पक्षी प्रजातियां यहां पाई जाती हैं।
- स्पीति घाटी में 800 से अधिक ब्लू शीप पाए जाते हैं, जो स्नो लेपर्ड के मुख्य शिकार हैं।
स्थानीय जीवन और परंपराएँ
करीब 12,000 लोग यहां बसे हुए हैं, जो पारंपरिक पशुपालन (याक और बकरियों), जौ और मटर की खेती और तिब्बती हर्बल मेडिसिन पर निर्भर हैं। बौद्ध मठ और सामुदायिक परिषदें यहां संसाधनों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाती हैं।
विशेषज्ञों और सरकार की प्रतिक्रिया
हिमाचल के PCCF (Wildlife) अमिताभ गौतम ने कहा कि यह मान्यता अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग, जिम्मेदार ईको-टूरिज्म और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की क्लाइमेट रेज़िलियंस को मजबूत करेगी।
वहीं, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत के 13 बायोस्फीयर रिज़र्व का WNBR में शामिल होना हमारी बायोडायवर्सिटी संरक्षण और समुदाय-आधारित सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।









