
नई दिल्ली: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण उद्योगों के विकास को हमेशा प्रोत्साहित किया है, लेकिन अक्टूबर 2014 में उनके पहले ‘मन की बात’ एपिसोड ने खादी को नए जीवनदान के रूप में पेश किया। पिछले 11 वर्षों में यह प्रयास खादी क्रांति के रूप में परिणत हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने हर भारतीय से कम से कम एक खादी उत्पाद खरीदने की अपील की, जिससे गरीब बुनकरों का उत्थान और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला।
महात्मा गांधी ने 20वीं सदी में खादी को केवल हाथ से बनी कपड़े के रूप में नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक के रूप में देखा। चरखा ग्रामीण पुनरुत्थान का उपकरण बन गया, जो गरिमा, स्थिरता और स्वदेशीता के धागों को जोड़ता है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में खादी का रूपांतरण हुआ है—पुराने प्रतीक से आधुनिक ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के इंजन तक। ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों के तहत खादी को वैश्विक स्तर पर पर्यावरण-हितैषी फैशन और ग्रामीण समृद्धि का प्रतीक बनाया गया।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार FY 2024-25 में बिक्री में 447% की वृद्धि हुई और यह ₹1.71 लाख करोड़ तक पहुंच गई। उत्पादन में 347% वृद्धि के साथ ₹1.16 लाख करोड़ और रोजगार में 50.75% बढ़ोतरी के साथ 2 करोड़ से अधिक नौकरियां सृजित हुईं।
प्रधानमंत्री मोदी ने खादी को ‘न्यू इंडिया’ में परंपरा और नवाचार, विरासत और प्रगति के बीच सेतु बताया। KVIC ने पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), SFURTI और KRDP जैसी योजनाओं के माध्यम से परंपरा और तकनीक का समन्वय किया। डिजिटल प्लेटफॉर्म, गुणवत्ता प्रमाणन, GST और डिजिटल इंडिया के माध्यम से विक्रय में आसानी, पर्यावरण मंजूरी में कटौती और लाइसेंसिंग बाधाओं का हटना खादी को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में सहायक रहा।
FY 2013-14 में KVIC की बिक्री ₹31,154 करोड़, उत्पादन ₹26,109 करोड़ और रोजगार 1.30 करोड़ था। लेकिन FY 2024-25 में बिक्री 447% बढ़कर ₹1.71 लाख करोड़, खादी कपड़े का उत्पादन 366% बढ़कर ₹3,783 करोड़ और वस्त्र बिक्री 561% बढ़कर ₹7,146 करोड़ हो गई। इस तरह, खादी ने मोदी नेतृत्व में ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।









