भारत के अनुसंधान और नवाचार में डिजिटल क्रांति, पढ़िए पूरी खबर

UPI ने लेन-देन की लागत घटाई, वित्तीय समावेशन बढ़ाया और भुगतान को विकास का इंजन बनाया। इसी तरह, आधार स्टैक ने लाभार्थियों की पहचान कर कल्याण वितरण को सुगम बनाया।

नई दिल्ली: एक दशक पहले, सब्सिडी और सेवा भुगतानों के लिए लंबी कतारें, कागजी कार्रवाई और डेटा लीक आम समस्या थी। आज, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) इन कार्यों को तुरंत, सुरक्षित और बड़े पैमाने पर पूरा करने में सक्षम बनाता है। UPI ने लेन-देन की लागत घटाई, वित्तीय समावेशन बढ़ाया और भुगतान को विकास का इंजन बनाया। इसी तरह, आधार स्टैक ने लाभार्थियों की पहचान कर कल्याण वितरण को सुगम बनाया।

अब यही तर्क अनुसंधान और नवाचार में लागू करने का समय है। भारत में नवाचार न केवल विकास का उत्प्रेरक है बल्कि राष्ट्रीय शक्ति की आधारशिला भी है। हालांकि R&D पर खर्च GDP का 0.5% से अधिक है, वैश्विक शीर्ष 1% वैज्ञानिक प्रकाशनों में भारत का हिस्सा मात्र 1% से कुछ अधिक है। शोध संसाधनों को आउटपुट (पब्लिकेशन, पेटेंट, ट्रांसलेशनल परिणाम) से जोड़ने वाले इंटरऑपरेबल सिस्टम की कमी व्यवस्थित मूल्यांकन और सुधार में बाधा डालती है।

Foundation for Advancing Science and Technology (FAST) के ‘Ease of Doing Research’ सर्वेक्षण के अनुसार, शोधकर्ताओं को सबसे अधिक समस्या खर्च प्रक्रिया में आती है। General Financial Rules (GFR) 2017 की कठोर प्रक्रियाएँ वैज्ञानिक अनुसंधान की अनिश्चित, समय-संवेदनशील और पुनरावृत्त प्रकृति के अनुकूल नहीं हैं।

DPI इस समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। इसके तीन कारण हैं:

  1. विभाजित और विवेकाधीन नियम: वर्तमान दिशानिर्देश सख्त और विवेकाधीन हैं, जो डिजिटल सिस्टम में सीधे लागू नहीं होते।
  2. उच्च-मात्रा और जटिल लेन-देन: शोध, संस्थान और फंडर्स कई चरणों में निधि प्रबंधन, उपकरण खरीद, रिपोर्टिंग और अनुपालन का सामना करते हैं।
  3. RoI माप की कमी: विभिन्न मंत्रालयों और एजेंसियों में ग्रांट्स का टैगिंग असंगत है, परिणामों का वर्गीकरण मनमाना और निवेश का अभिसरण कठिन।

भारत को अब एक ‘Innovation Stack’ तैयार करना होगा, जिसमें तीन इंटरऑपरेबल स्तर होंगे:

  • Standards: ग्रांट्स, समीक्षा, व्यय, खरीद और रिपोर्टिंग को मशीन-पठनीय स्कीमाओं में एनकोड करना।
  • Integration: APIs के माध्यम से विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं के ERP और फाइनेंस सिस्टम से जोड़ना।
  • Infrastructure: India Stack का उपयोग—आधार पहचान, DigiLocker प्रमाणपत्र, GeM खरीद और Account Aggregator वित्तीय प्रवाह के लिए।

ग्रांट आवेदन और प्रबंधन आज PDF और अलग-अलग पोर्टल्स में मैनुअल डेटा प्रविष्टि पर निर्भर है। डिजिटल ऑब्जेक्ट और स्टैन्डर्डाइज्ड मेटाडेटा के माध्यम से शोधकर्ता वास्तविक समय में कॉल्स खोज सकते हैं, ऑटोमैटेड अलर्ट प्राप्त कर सकते हैं और प्रस्ताव प्रोग्रामेटिक रूप से सबमिट कर सकते हैं। एजेंसियों के लिए खर्च ट्रैकिंग नियम-आधारित होगी, छोटे खरीद स्वचालित होंगे और बड़े उपकरण अनुरोध निश्चित अधिकारी के पास निर्धारित समयसीमा में जाएंगे।

इस प्रणाली से पूरी प्रक्रिया ऑडिटेबल और पारदर्शी बनेगी, लागत-कुशल होगी और अनुसंधान उत्पादकता और नवाचार को बढ़ावा देगी। DPI के माध्यम से भारत का अनुसंधान इकोसिस्टम विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के कगार पर है।

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