
छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता मिली है। उत्तर बस्तर में सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और सरकार की नीतियों के चलते एक साथ 208 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय थे। इन सभी ने कुल 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है।
नक्सल सफाया मिशन में अहम उपलब्धि
छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन के लिए सरकार ने युद्धस्तर पर अभियान शुरू किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद के पूर्ण सफाया के लिए 31 मार्च 2026 तक की डेडलाइन तय की है। अधिकारियों का कहना है कि इस बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण से नक्सलियों के हौसले पस्त हुए हैं और यह अभियान की अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है।
उत्तर बस्तर में ‘लाल आतंक’ का अंत
अधिकारियों ने जानकारी दी कि अबूझमाड़ का अधिकांश हिस्सा अब नक्सली प्रभाव से मुक्त हो चुका है। यह इलाका दशकों से नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता था। अब स्थिति यह है कि नक्सलवाद केवल दक्षिण बस्तर के कुछ इलाकों में सीमित रह गया है। इसे ‘लाल आतंक’ के अंत की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है।
संगठन के ऊंचे स्तर के नक्सलियों ने भी किया सरेंडर
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में माओवादी संगठन के शीर्ष और मध्यम रैंक के सदस्य भी शामिल हैं। इनमें –
- 1 केंद्रीय समिति सदस्य (CCM)
- 4 दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति (DKSZC) सदस्य
- 1 क्षेत्रीय समिति सदस्य
- 21 संभागीय समिति सदस्य (DVCM)
- 61 एरिया कमेटी सदस्य (ACM)
- 98 पार्टी सदस्य
- 22 PLGA/RPC एवं अन्य कार्यकर्ता









