
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2025 में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया, जिसमें उन्होंने थाईलैंड की क्वीन मदर के निधन पर शोक व्यक्त किया और आसियान देशों के साथ भारत के सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सम्मेलन के दौरान भारत-आसियान संबंधों की मजबूती और आगामी योजनाओं के बारे में महत्वपूर्ण बयानों का आदान-प्रदान किया।
आसियान-भारत साझेदारी का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्तमान अनिश्चितताओं के दौर में भारत-आसियान की साझेदारी लगातार मजबूत हुई है, जो वैश्विक स्थिरता और विकास का आधार बनकर उभर रही है। उन्होंने बताया कि 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग का वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “इस वर्ष के आसियान शिखर सम्मेलन का विषय ‘समावेशीपन और स्थिरता’ हमारे साझा प्रयासों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। चाहे वह डिजिटल समावेशन हो, खाद्य सुरक्षा या लचीली आपूर्ति श्रृंखला, भारत इस दिशा में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
आसियान देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री ने भारत की ओर से आसियान भागीदारों के साथ लगातार सहयोग को उजागर किया। “भारत हर आपदा में अपने आसियान भागीदारों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। समुद्री सुरक्षा, HADR, और नीली अर्थव्यवस्था में हमारा सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है।”
उन्होंने आसियान-भारत साझेदारी को और भी मजबूत करने के लिए शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, और साइबर सुरक्षा में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने की बात की।
आसियान-भारत सामुदायिक विज़न 2045 और भारत 2047 का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि भारत और आसियान दोनों मिलकर सामूहिक रूप से 21वीं सदी को अपनी सदी बनाएंगे। “मुझे विश्वास है कि आसियान सामुदायिक विज़न 2045 और विकसित भारत 2047 का उद्देश्य पूरी मानवता के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा।”









