काशी के गंगा तट पर प्रबोधिनी एकादशी पर उमड़ा जनसैलाब, मां तुलसी का विवाह उत्सव, जानिए क्या है महत्व…

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को ही भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से उठते है ऐसे में इस दिन को देवोत्थान और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

वाराणसी- कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को धर्म की नगरी काशी में प्रबोधिनी एकादशी के पर्व पर गंगा स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब शनिवार को उमड़ा। मां गंगा के जल में आस्था की डुबकी के साथ ही व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने मां तुलती का विवाह किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को ही भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से उठते है ऐसे में इस दिन को देवोत्थान और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है।

प्रबोधिनी एकादशी पर होता है मां तुलसी का विवाह…स्नान,ध्यान और दान का होता है महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी पर स्नान, ध्यान और दान का काफी महत्व होता है। आज के दिन स्नान के साथ भगवान विष्णु की आराधना और जरूरतमंदों की मदद यानी दान करना काफी फलदाई होता है। वहीं प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह की मान्यता है, आज के दिन तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाकर विवाह उत्सव और पूजन की मान्यता है। मना जाता है, कि ऐसा करने से संतान सुख और वैवाहिक जीवन व मांगलिक कार्यों में सफलता मिलती है।

रिपोर्ट : नीरज कुमार जायसवाल

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