
2 नवंबर 2025 को देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर बानसूर कस्बे के समीप बाढ़ भावसिंह (पुराना नाम बसई) स्थित प्राचीन शिखरबंद देवरा मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी इस मंदिर का पुनर्निर्माण एक नया अध्याय बन गया है।

1500 वर्ष पुराना मंदिर और उसका इतिहास
यह मंदिर लगभग 1500 वर्ष पुराना है और गुप्तकालीन स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है। विदेशी आक्रांताओं ने इस मंदिर को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया। मंदिर से संबंधित सबसे पुराना लिखित प्रमाण 425 वर्ष पुराना है, जब राव सूजा जी ने बसई शहर को पुनः बसा कर इस मंदिर का पुनरुद्धार किया।

प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण
मंदिर की मूर्तियाँ ग़ायब हो गई थीं और पूजा पाठ की प्रक्रिया भी बंद हो गई थी। वर्षों तक यह मंदिर शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन गया था, लेकिन आज़ादी के बाद से ही यह पूजा स्थल के रूप में बंद था। फिर पास के गांव श्यामपुरा के निवासी और IPS अधिकारी रमाकांत ने इस प्राचीन और जीर्ण-शीर्ण मंदिर के पुनर्निर्माण का जिम्मा उठाया और भगवान लक्ष्मी नारायण के श्री विग्रहों की स्थापना की।

प्राण प्रतिष्ठा और नगर भ्रमण
इस भव्य आयोजन से पहले भगवान लक्ष्मी नारायण के श्री विग्रहों का नगर भ्रमण कराया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। तीन दिन तक चले इस आयोजन में शिखर पूजन, श्री विग्रहों का महास्नान और हवन मुख्य आकर्षण रहे।

तीन दिन तक चला भव्य आयोजन
मंदिर के पुनर्निर्माण और भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के साथ यह आयोजन स्थानीय लोगों के लिए एक यादगार अनुभव बन गया। श्रद्धालुओं ने भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर में आस्था और श्रद्धा से पूजा अर्चना की और इस मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग देने वाले सभी को धन्यवाद दिया।









