Adani Group और Ministry of Education का IKS कार्यक्रम, इंडोलॉजी के पुनरुत्थान के लिए पहल

अदाणी समूह ने शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) विभाग के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करना और इस पर शोध को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम 20 से 22 नवंबर तक अहमदाबाद स्थित अदाणी कॉर्पोरेट हाउस में आयोजित होगा।

Ahmedabad : अदाणी समूह ने शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) विभाग के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करना और इस पर शोध को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम 20 से 22 नवंबर तक अहमदाबाद स्थित अदाणी कॉर्पोरेट हाउस में आयोजित होगा।

इस पहल का उद्देश्य भारतीय विद्वानों और शोधकर्ताओं को अपनी प्राचीन ज्ञान परंपराओं में गहरी पकड़ बनाने का अवसर देना है, खासकर उस समय में जब दुनिया भर में इंडोलॉजी विभागों में समर्थन की कमी देखी जा रही है। आयोजकों के अनुसार, यह कार्यक्रम भारत की सभ्यता अध्ययन में अकादमिक स्वामित्व को मजबूत करने और देशज दृष्टिकोण पर आधारित शोध को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ:

  • पाँच वर्ष का कार्यक्रम: अदाणी समूह और IKS ने मिलकर एक पाँच वर्ष का कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें ₹13.16 करोड़ की निधि निर्धारित की गई है। इस निधि से 14 Ph.D. शोधार्थियों का समर्थन किया जाएगा, जो विभिन्न प्रमुख संस्थानों से चयनित किए गए हैं।
  • शोध क्षेत्र: इन शोधार्थियों के शोध क्षेत्र में पाणिनीय व्याकरण और गणनात्मक भाषाविज्ञान, प्राचीन खगोलशास्त्र, पारंपरिक इंजीनियरिंग और स्थिरता पद्धतियाँ, शास्त्रीय साहित्य, स्वदेशी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, राजनीतिक विचारधारा और धरोहर अध्ययन शामिल हैं।
  • शोधार्थियों का चयन: शोधार्थियों का चयन एक राष्ट्रीय परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से किया गया, जिसमें IITs, IIMs, IKS-केन्द्रित विश्वविद्यालयों और वरिष्ठ विद्वानों की भागीदारी रही। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय ज्ञान को आधुनिक शोध विधियों जैसे डेटा विज्ञान, प्रणाली सोच और मल्टीमोडल आर्काइविंग के साथ जोड़ना है।

IKS का उद्देश्य और शिक्षा नीति:
भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS), जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत स्थापित की गई थी, भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को मुख्यधारा की शिक्षा और शोध में समाहित करने का कार्य करती है। इसमें इंजीनियरिंग, पर्यावरण विज्ञान, भाषाविज्ञान, सार्वजनिक नीति और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

अदाणी समूह का योगदान:
अदाणी समूह ने इस पहल को अपनी राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा है। यह कार्यक्रम भारत की सभ्यता की धरोहर को बढ़ावा देने के साथ-साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भारतीय सिद्धांतों को प्रोत्साहित करता है। इसके माध्यम से भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर को भी समर्थन मिलेगा।

अदाणी समूह ने कहा है कि यह पहल भारतीय संस्कृति और ज्ञान को समृद्ध करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जो वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी।

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