Special Intensive Revision Impact: फॉर्म बांटने का काम 99.53 फीसदी पूरा, यूपी सबसे पीछे, बंगाल में BLO का विरोध, 40 लोगों की मौत 

Special Intensive Revision Impact:  बिहार विधानसभा 2025 बीतने के बाद देश के लगभग 12 राज्यों 9 राज्य और 3 केद्र शासित प्रदेश में वोटर लिस्ट के स्पेशल इन्टेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया तेजी से चल रही है। शनिवार को चुनाव आयोग ने जानकारी देकर कहा है कि सभी 12 राज्यों 9 राज्य और 3 केद्र शासित प्रदेशों में 99.53 प्रतिशत फॉर्म बांटे जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल में अब तक- 40 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, इसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। 

जानकारी के मुताबिक, गोवा और लक्षद्वीप में 100 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 95.85 प्रतिशत वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं। वोटरों के लिहाज से सबसे बड़े राज्य यूपी में 99.74 प्रतिशत यानी 16.40 करोड़ से ज्यादा फॉर्म बांटे दिए गए हैं। मगर वहीं दूसरी तरफ अगर हम देंखे बड़ी संख्या इस sir के दौरान लोगों के मरने की खबर भी सामने आ रही है।  

बता दें कि यूपी में पिछले एक हफ्ते में ही एसआईआर में लगे तीन बीएलओ ने जान दे दी है। सबसे पहले फतेहपुर में 25 नवंबर को बीएलओ का काम देख रहे लेखपाल रामलाल कोरी ने अपनी शादी से एक दिन पहले जान दे दी थी। उसे अपनी ही शादी के लिए छुट्टी नहीं मिल रही थी। अधिकारी काम का दबाव बना रहे थे और उन्हें सस्पेंड करने की धमकी दी गई। 

यूपी में SIR का काम सबसे धीमा

चुनाव आयोग द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में फॉर्म के डिजिटलीकरण का काम सबसे धीमा चल रहा है।  यहां अभी तक 60.91 प्रतिशत फॉर्म ही डिजिटलाइज्ड हुए हैं। वहीं इस मामले में  लक्षद्वीप 100 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है। उसके बाद गोवा 95.17 प्रतिशत और राजस्थान 92.66 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं। 

फॉर्म बांटने का काम 99.53 फीसदी पूरा

चुनाव आयोग के डेली बुलेटिन के मुताबिक, देश के सभी राज्यों में गणना प्रपत्र (ईएफ) वितरण का कार्य 99.53 फीसदी पूरा हो चुका है। हालांकि इसकी डेट, 4 दिसंबर के बढ़ाकर 11 दिसंबर कर दी गई है। इस दौरान पात्र 50.97 करोड़ मतदाताओं में से कुल 50.73 करोड़ वोटरों को फॉर्म बांट दिए गए हैं।

बंगाल में SIR का विरोध 

पश्चिम बंगाल में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के तृणमूल समर्थित गुट ने चुनाव आयोग की स्पेशल टीम के कोलकाता दौरे के दौरान प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि एसआईआर (स्पेशल रिवीजन) प्रक्रिया में जान का जोखिम है और मांग की है कि एसआईआर ड्यूटी के दौरान किसी की मौत होने पर उचित मुआवजा मिले। प्रदर्शनकारियों ने चुनाव ड्यूटी में लगे बीएलओ के लिए आयोग से एक नीति बनाने की भी मांग की है।

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