सहमति के बिना तस्वीर लेना अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354C के तहत वॉयरिज्म (छिपकर देखने ) के अपराध को केवल तब माना जाएगा जब कोई व्यक्ति महिला के “प्राइवेट काम” करते हुए उसकी तस्वीरें खींचता है या वीडियो बनाता है, और यह काम ऐसी जगह पर हो जहां महिला को उम्मीद हो कि उसे देखा नहीं जाएगा।

IPC की धारा 354C के अनुसार, वॉयरिज्म तब ही अपराध माना जाएगा ।जब महिला किसी ऐसी जगह पर किसी निजी काम में लगी हो, जहां उसे प्राइवेसी की उम्मीद हो। उदाहरण के तौर पर, यदि महिला अपने प्राइवेट हिस्से को बिना कपड़ों के या केवल अंडरवियर से ढके हुए किसी जगह पर दिखा रही हो, तो वह टॉयलेट का उपयोग कर रही हो, या ऐसा सेक्सुअल काम कर रही हो जो आमतौर पर सार्वजनिक स्थानों पर नहीं किया जाता।

बता दे कि इस धारा के तहत अपराध केवल तभी माना जाएगा जब कोई व्यक्ति महिला को उसके प्राइवेसी अधिकार का उल्लंघन करते हुए देखे, या बिना उसकी सहमति के उसकी तस्वीरें खींचे जिसके आधार पर उस इंसान पर कार्यवाई होंगी ।

इस कानून का उद्देश्य महिलाओं की निजता की रक्षा करना है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि जब कोई महिला अपने निजी कामों को सार्वजनिक जगह पर करती है, तो उसे वॉयरिज्म के अपराध के तहत संरक्षण नहीं मिलेंगा ।

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