
लखनऊ, 05 दिसंबर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना के अगले चरण ‘ओडीओपी 2.0’ की घोषणा की है, जिसके तहत प्रदेश के स्थानीय उद्योग, स्वरोज़गार और निर्यात को नई ऊंचाई देने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘ओडीओपी 2.0’ योजना के माध्यम से प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों को वैश्विक बाजार में एक मजबूत पहचान दिलाने के साथ-साथ स्थायी रोजगार का भी सृजन होगा।
उन्होंने इस योजना को और अधिक व्यावसायिक और परिणामोन्मुखी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि प्रदेश के उद्योगों और रोजगार का मजबूत आधार बने। ओडीओपी 2.0 के तहत ओडीपी उत्पादों के गुणवत्ता, पैकेजिंग, और विपणन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि ये उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
मुख्यमंत्री ने ‘एक जनपद-एक व्यंजन’ (ओडीओसी) की पहल की भी घोषणा की, जिसमें प्रदेश के प्रत्येक जिले की विशिष्ट खाद्य परंपरा को एक संगठित ब्रांड के रूप में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर जिले की खान-पान की कुछ न कुछ खास परंपरा है, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है। ‘ओडीओसी’ योजना के माध्यम से इन व्यंजनों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और विपणन को सुदृढ़ किया जाएगा, ताकि यह राज्य की सांस्कृतिक आत्मा को भी वैश्विक पहचान मिले।
ओडीओपी 2.0 योजना के बारे में और जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि ओडीओपी योजना के पहले चरण में अब तक 1.25 लाख से अधिक टूलकिट वितरित किए जा चुके हैं, 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरण हुआ है, और 8,000 से ज्यादा उद्यमियों को विपणन सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा, 44 ओडीओपी उत्पादों को जियो टैग प्राप्त हो चुके हैं और ओडीओपी उत्पाद आज प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि ओडीओपी के कॉमन फैसिलिटी सेंटर को और अधिक उपयोगी बनाया जाएगा, जहां छोटे उद्यमियों को तकनीकी सहायता, डिज़ाइन, पैकेजिंग और उत्पादन में सहयोग मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि ओडीओपी उत्पादों को अब पारंपरिक बाजारों से आगे बढ़ाकर बड़े रीटेल नेटवर्क और यूनिटी मॉल्स के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
ओडीओपी 2.0 योजना के तहत, मुख्यमंत्री ने प्रदेश के उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रमाणन और ब्रांड मूल्य प्रदान करने की बात की, जिससे उत्तर प्रदेश के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशिष्ट स्थान मिल सके।









