
How To Give CPR In Heart Attack: दफ्तर, यात्रा या किसी पार्टी में अगर सामने किसी को अचानक दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ जाए, तो सही जानकारी और शांत दिमाग से आप उसकी जान बचा सकते हैं। दिल के दौरे के बाद मरीज के दिल और दिमाग तक ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह रुकने लगता है। ऐसे में, जब तक पेशेवर मदद (एम्बुलेंस/डॉक्टर) नहीं आती, CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देकर आप इस प्रवाह को कृत्रिम तरीके से जारी रख सकते हैं और मरीज के बचने की संभावना कई गुना बढ़ा सकते हैं।
हार्ट अटैक आने पर तुरंत क्या करें…
- पहला और सबसे जरूरी कदम: मदद बुलाएं
सबसे पहले मरीज की सांस और होश की जांच करें। अगर वह जवाब नहीं दे रहा और सांस नहीं ले रहा (या असामान्य रूप से ले रहा है), तो तुरंत एम्बुलेंस (102/108) को कॉल करें या किसी दूसरे से करवाएं। अगर आसपास कोई और है तो उसे ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) मशीन ढूंढने के लिए भी कह सकते हैं। - सही स्थिति में लिटाएं मरीज को
मरीज को फौरन सीधा, समतल और सख्त सतह (जैसे जमीन) पर पीठ के बल लिटा दें। उसके सिर और गर्दन को सीधा रखें ताकि सांस की नली बंद न हो। - CPR शुरू करें: हाथों की सही पोजिशन और तकनीक
- हाथ रखने का तरीका: एक हाथ की एड़ी (हथेली का निचला हिस्सा) मरीज की छाती के बिल्कुल बीच में रखें। दूसरे हाथ को इसके ऊपर रखकर उंगलियों को अंदर की ओर फंसा लें। कोहनी बिल्कुल सीधी रखें।
- दबाव कैसे दें: अपने पूरे शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए, छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) गहरा दबाएं और फिर पूरी तरह छोड़ दें। यह दबाव इतना मजबूत होना चाहिए कि रिब (पसली) की हड्डी टूटने का खतरा रहे, लेकिन याद रखें कि एक टूटी हड्डी ठीक हो सकती है, पर ऑक्सीजन न मिलने से दिमाग को हुआ नुकसान ठीक नहीं होता।
- स्पीड और लय: प्रति मिनट 100 से 120 बार की रफ्तार से ये कंप्रेशन (दबाव) देते रहें। आसान भाषा में समझें तो, सेकंड में लगभग 2 बार दबाव दें। एक लय बनाए रखें।
- सांस देना (अगर प्रशिक्षित हैं तो)
अगर आपको मुंह से सांस देना (रेस्क्यू ब्रेथिंग) आता है, तो हर 30 कंप्रेशन के बाद मरीज की नाक बंद करके उसके मुंह में दो पूरी सांसें दें। अगर यह नहीं आता, तो सिर्फ लगातार छाती दबाना (हैंड्स-ओनली CPR) भी कारगर है। - बिना रुके जारी रखें या AED का इस्तेमाल करें
तब तक CPR जारी रखें जब तक कि:- मरीज में हलचल शुरू न हो जाए या सांस लेने लगे।
- पेशेवर मदद (एम्बुलेंस/डॉक्टर) आकर जिम्मेदारी न ले ले।
- AED मशीन आ जाए। अगर AED मिल जाए, तो उसे चालू करें और मशीन पर दिए गए स्पष्ट आवाज़ के निर्देशों का पालन करें। यह मशीन खुद विश्लेषण करके बताती है कि करना क्या है।
जरूरी सलाह और सावधानियां
- घबराएं नहीं: आपकी शांति और त्वरित कार्रवाई ही सबसे बड़ी ताकत है।
- CPR ट्रेनिंग लें: किसी मान्यताप्राप्त संस्थान (जैसे रेड क्रॉस) से बुनियादी जीवन रक्षक (बीएलएस) कोर्स करके प्रैक्टिकल प्रशिक्षण लेना सबसे अच्छा है।
- AED का पता रखें: अपने ऑफिस या आसपास के सार्वजनिक स्थानों पर AED मशीन कहाँ है, यह जानकारी रखें।
- निष्क्रिय न बनें: अगर आपको पूरी प्रक्रिया नहीं आती, तो भी एम्बुलेंस को कॉल करें और हाथों से छाती दबाने का प्रयास करें। कुछ करना, कुछ न करने से हमेशा बेहतर है।
(नोट: यह जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी आपात स्थिति में पेशेवर चिकित्सा सहायता लेना सर्वोपरि है।)









