
वाराणसी। उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में फैले कोडीन युक्त कफ सिरप के तस्करी के मामले में जांच तेज हो गई है। वाराणसी की SIT की टीम ने कफ सिरप तस्करी और अवैध भंडारण के आरोप में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि कफ सिरप के सिंडिकेट का किंगपिन शुभम जायसवाल पर 25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया है। वही कफ सिरप के तस्करी का मास्टर माइंड प्रशांत उपाध्याय अब भी वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के गिरफ्त से दूर है। वाराणसी को कोडीन युक्त कफ सिरप का केंद्र बनाकर देश के विभिन्न राज्यों सहित बंगलादेश और नेपाल में इसकी तस्करी व अवैध रूप से भंडारण किए जाने का मामले में कई सफेदपोश भी बेनकाब होने के कगार पर है। इन सबके बीच शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने शुभम जायसवाल सहित उसके चार्टर्ड एकाउंटेंट सहित दिवेश जायसवाल व कई फर्मों पर ताबड़तोड़ छापेमारी किया।

कौन है प्रशांत उपाध्याय जिसे बचाने में जुट गए कई सफेदपोश…
वाराणसी में प्रशांत उपाध्याय उर्फ लड्डू का नाम दवा कारोबारियों के बीच काफी चर्चा में है। राधिका इंटरप्राइजेज का संचालक प्रशांत उपाध्याय का नाम दवा व्यापार सहित कफ सिरप के कारोबार में बनारस में काफी चर्चित है। सूत्रों के अनुसार शुभम जायसवाल से पहले वाराणसी में कफ सिरप का सबसे बड़ा कारोबार प्रशांत उपाध्याय करता था। कफ सिरप के कारोबार से अरबों रुपए कि संपत्ति बनाने वाला प्रशांत उपाध्याय की ड्रग विभाग में सबसे बड़ी पकड़ मानी जाती है। दवा व्यापारियों के अनुसार प्रशांत उपाध्याय उर्फ लड्डू का नाम लेने और फोन से बात करवाने मात्र से ही ड्रग विभाग के अधिकारी विगत कई वर्षों में बिना भौतिक निरीक्षण लाइसेंस दे दिया करते थे। विभाग में प्रशांत उपाध्याय की हनक ऐसे कि कोडीन युक्त कफ सिरप के तस्करी का भंडाफोड़ होने के बाद भी ड्रग विभाग ने पहले इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। जब यह मामला देशभर में सुर्खियों में आया तो अपनी किरकिरी होता देख ड्रग विभाग ने वाराणसी के कोतवाली थाने में प्रशांत उपाध्याय का नाम पूर्व से लिखे गए मुकदमे में दर्ज करवाया।

प्रशांत उपाध्याय के खिलाफ कार्रवाई न होने से उठ रहे बड़े सवाल…
वाराणसी में कफ सिरप का किंग कहे जाने वाले प्रशांत उपाध्याय पर मुकदमा तो दर्ज किया गया, लेकिन अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई। वाराणसी में इस मामले में SIT टीम और जांच एजेंसियों का पूरा फोकस सरगना शुभम जायसवाल पर है, लेकिन वाराणसी में कफ सिरप का सिंडिकेट के मेंबर प्रशांत उपाध्याय पर अब तक नजर नहीं गई। सूत्रों की माने पर शुभम जायसवाल से पहले पूरा सिंडिकेट प्रशांत उपाध्याय संभलता था, जिसमें कई अधिकारियों की भी मिली भगत थी। जब कोडीन युक्त कफ सिरप के कारोबार में शुभम जायसवाल और अमिता टाटा की एंट्री वाराणसी में हुई, तो प्रशांत उपाध्याय का रुतबा कम हुआ और सिंडिकेट शुभम जायसवाल चलाने लगा। अब जब इस सिंडिकेट का भंडाफोड़ हुआ और सबकी निगाहे शुभम जायसवाल पर है, प्रशांत उपाध्याय इन सबसे इतर पुलिस की निगाहों से फरार हो गया और उस पर अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। वही प्रशांत पर कार्रवाई न होने को लेकर कई सवाल भी खड़े होने लगे है। वाराणसी के कोतवाली थाने में दर्ज जिस मुकदमे में शुभम जायसवाल पर SIT की टीम ने 25 हजार का ईनाम घोषित किया, उसी मुकदमे में नामजद प्रशांत उपाध्याय और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी ना होना काफी चर्चा में है।


वाराणसी के दवा मंडी सप्तसागर में चर्चा है कि कई सफेदपोश अब सिंडिकेट का भंडाफोड़ होने के बाद कफ सिरप के कारोबार को पुराने किंग प्रशांत उपाध्याय के अनुसार करने की फिराक में है, यही वजह है कि प्रशांत उपाध्याय पर कोई बड़ा एक्शन नहीं हो रहा है। बहरहाल अब आने वाला समय ही बताएगा कि वाराणसी कफ सिरप के तस्करी मामले में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस और वाराणसी SIT की टीम क्या कार्रवाई करती । फिलहाल शुभम जायसवाल देश छोड़कर फरार है और उस पर 25 हजार का ईनाम घोषित किया गया है, जबकि प्रशांत उपाध्य के बारे में कोई भी जानकारी देने से अधिकारी कतरा रहे है। अब इस पूरे मामले में ED की एंट्री के बाद सिंडिकेट से जुड़े लोगों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी जारी है।









