
पुणे, महाराष्ट्र से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें एक छात्रा ने आरोप लगाया है कि छुट्टियों से लौटने के बाद हॉस्टल में छात्राओं को प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने के लिए दबाव डाला जाता है। यह मामला एक सरकारी आदिवासी छात्रावास का है, जहां छात्राओं का आरोप है कि उन्हें नेगेटिव प्रेग्नेंसी रिपोर्ट के बिना हॉस्टल में प्रवेश नहीं दिया जाता है। इस गंभीर आरोप पर महिला आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया है और इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
महिला आयोग ने छात्राओं के आरोपों को गंभीरता से लिया और कहा कि अगर इस मामले में सच्चाई पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने इसे छात्राओं के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इसे पूरी तरह से गलत करार दिया है।
इससे पहले, सितंबर में पुणे के वाकड जिले में आदिवासी लड़कियों के रेगुलर हेल्थ चेक-अप के दौरान यूपीटी टेस्ट करवाने की खबर सामने आई थी। इसके बाद महिला आयोग की चेयरपर्सन रूपाली चाकणकर ने 23 सितंबर को पुणे के हॉस्टल का औचक दौरा किया था।
महिला आयोग ने आदिवासी विकास विभाग को आदेश दिया था कि ऐसी प्रेग्नेंसी टेस्टिंग को तुरंत रोका जाए। आयोग के कमिश्नर ने इस संदर्भ में सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि किसी भी छात्रा को यूपीटी टेस्ट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और अगर इसमें किसी की लापरवाही पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।








