
Uttar-Pradesh: सरकार एक तरफ अपने कामें को लेकर चर्चा में हैं वहीं हापुड़ में एक शिक्षक सुभाष त्यागी पिछले 30 वर्षों से न्याय की तलाश में भटक रहे है। 1987 में उन्होंने माध्यमिक विद्यालय ज़रोठी में शिक्षक के पद पर कार्यभार संभाला था, लेकिन इसके बाद शिक्षा विभाग की मनमानी ने उनकी जिंदगी को मुसीबत में डाल दिया। सुभाष त्यागी को 1991 से वेतन मिलना बंद हो गया था औऱ तब से लगातार अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
क्या है मामला?
सुभाष त्यागी का 1991 में अचानक बिना किसी कारण के वेतन बंद कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कई बार अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 1996 के बाद से वे राज्य सरकार और विभागीय अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। अब, 30 साल बाद भी वे अपनी पुरानी तैनाती को लेकर परेशान हैं।
बुलंदशहर से आकर भटक रहे हैं
सुभाष त्यागी बुलंदशहर जिले से हापुड़ आए हैं, जहां वे अपनी वेतन व अन्य अधिकारों की बहाली के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं। अब उनका जीवन न्याय की तलाश में चक्कर काटते हुए बीत रहा है।
शिक्षक समुदाय की मांग
आपको बता दें, सुभाष त्यागी का कहना है कि वे विभागीय अधिकारियों से किसी भी तरह का भ्रष्टाचार या अन्याय नहीं सहेंगे और इसके खिलाफ आवाज़ उठाएंगे। उनका मानना है कि शिक्षा विभाग की यह लापरवाही उनके जैसे शिक्षकों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रही है, जो सरकारी सेवा में ईमानदारी से कार्य करते हैं।
न्याय की उम्मीद
कई सालों से संघर्ष कर रहे सुभाष त्यागी अब न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं, लेकिन उनका कहना है कि वे बिना किसी दबाव के अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। उनका संघर्ष न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी शिक्षकों के लिए भी एक प्रेरणा है जो विभागीय असमानताओं और अन्याय का सामना कर रहे हैं।








