
नई दिल्ली : अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर जंतर-मंतर पर आयोजित राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन महाधरना में बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पर्यावरण पहरूवा प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने रिकॉर्ड 50वीं बार अपने खून से पत्र लिखकर पृथक बुंदेलखंड राज्य की माँग उठाई। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास से जुड़ा संवैधानिक प्रश्न है।

महाधरना में विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों—पूर्वांचल, बुंदेलखंड, विदर्भ, मराठवाड़ा, सीमांचल–कोसी, मिथिला और महाकौशल—के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से कहा कि वर्तमान राज्य संरचना के साथ ‘विकसित भारत 2047’ का लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है।

प्रवीण पांडेय ने यह भी बताया कि 1956 के राज्य पुनर्गठन में बुंदेलखंड के साथ अन्याय हुआ था, जिसे अब सुधारने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के युवाओं, किसानों और श्रमिकों को लंबे समय से उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है और पृथक राज्य ही उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान है।

इस अवसर पर अन्य नेताओं ने भी अपनी बातें रखी। संगठन महामंत्री यज्ञेश गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय विकास तभी संभव है जब क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त किया जाए। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चन्द्रभान राय ने बुंदेलखंड के संघर्ष को समर्थन देते हुए कहा कि बिना पृथक राज्य के इस क्षेत्र के लोगों की समस्याएं हल नहीं हो सकतीं।

महाधरना में पूर्वांचल राज्य जनांदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुज राही ‘हिन्दुस्तानी’ ने सरकार से विकसित भारत 2047 के रोडमैप को सार्वजनिक करने की माँग की। उन्होंने कहा कि व्यापक राज्य पुनर्गठन के बिना यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता।
इस अवसर पर कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने महाधरना में हिस्सा लिया, जिनमें संजय अग्रवाल, अजीत तिवारी, दीपक साहू, ज्ञानेश्वर कुशवाहा, शिवम् झा, सचिन ‘झांसीया’, हर्षित खन्ना, रोहित यादव, उत्कर्ष त्रिवेदी सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।संगठनों ने केंद्र सरकार से पिछड़े क्षेत्रों का पुनर्मूल्यांकन करने और उन्हें पृथक राज्य के रूप में गठित करने की माँग की।









