सरकार का 2047 तक ‘विकसित भारत’ लक्ष्य,सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण की प्रक्रिया को तेज करने की योजना

इसके बाद निजी क्षेत्र का एचडीएफसी बैंक 73वें स्थान पर आता है। सरकार का मानना है कि अगर बैंक बड़े होंगे, तो उनकी वैश्विक रैंकिंग भी बेहतर होगी और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे।

भारत सरकार आने वाले वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के एकीकरण की प्रक्रिया को और तेज कर सकती है। इसका उद्देश्य 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने का है, और इस दिशा में सरकार का मानना है कि बड़े, मजबूत और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना जरूरी है। इसके लिए वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच बातचीत शुरू हो चुकी है, जो संकेत देता है कि जल्द ही बैंकिंग क्षेत्र में बड़े बदलाव हो सकते हैं।

वित्त मंत्री का बयान और सरकार की मंशा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि भारत को कई बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की जरूरत है, ताकि वे न केवल देश की आर्थिक जरुरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत की उपस्थिति मजबूत कर सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दिशा में पहले से ही काम शुरू हो चुका है, और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

भारत में 12 सरकारी बैंक, लेकिन वैश्विक रैंकिंग में सीमित मौजूदगी
वर्तमान में भारत में 12 सरकारी बैंक हैं। हालांकि, परिसंपत्तियों के आधार पर दुनिया के टॉप 50 बैंकों में भारत से केवल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ही शामिल है, जो 43वें स्थान पर है। इसके बाद निजी क्षेत्र का एचडीएफसी बैंक 73वें स्थान पर आता है। सरकार का मानना है कि अगर बैंक बड़े होंगे, तो उनकी वैश्विक रैंकिंग भी बेहतर होगी और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे।

पहले भी हो चुका है बड़ा एकीकरण
सरकार पहले भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण कर चुकी है। इस प्रक्रिया में दो चरणों में बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 हो गई थी। इसमें यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में किया गया, वहीं सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक व कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय किया गया। इससे पहले, देना बैंक और विजया बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में शामिल किया गया था। इन कदमों का मकसद बैंकों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाना था।

आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की तैयारी
इसके अलावा, सरकार ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव अरुणिश चावला ने उम्मीद जताई है कि इसकी रणनीतिक बिक्री मार्च 2026 तक पूरी हो सकती है। इससे सरकार को संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी और बैंकिंग क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ेगी।

सार्वजनिक बैंकों का रिकॉर्ड मुनाफा
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा सुधार देखा गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक इन बैंकों का शुद्ध लाभ दो लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक स्तर को पार कर जाएगा। इस सुधार के पीछे बेहतर प्रबंधन, कम एनपीए और मजबूत आर्थिक गतिविधियां हैं, जो सार्वजनिक बैंकों की सफलता का कारण मानी जा रही हैं।

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