
ओडिशा में मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी की सरकार द्वारा विधायकों के वेतन को तीन गुना बढ़ाने के चार विधेयकों को विधानसभा से पास कराए जाने के बाद अब राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। ये विधेयक राज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब खबर है कि भाजपा सरकार इन विधेयकों को वापस ले सकती है। इसका कारण राज्य में इसके विरोध का उभार है, जिसके चलते भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
विधानसभा में वेतन वृद्धि के चार विधेयकों का पारित होना
कुछ हफ्ते पहले, ओडिशा विधानसभा में विधायकों और अन्य पदाधिकारियों के वेतन और भत्तों में तीन गुना बढ़ोतरी करने से जुड़े चार विधेयक पास किए गए थे। यह निर्णय राज्य में एक बड़ा मुद्दा बन गया और जनता में विरोध की लहर फैल गई। भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
जनभावनाओं के सम्मान में भाजपा विधायकों का कदम
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि इस वेतन वृद्धि के फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। विधायकों का कहना था कि इस निर्णय के समय और उसकी इतनी बड़ी बढ़ोतरी को लेकर जनता में नाराजगी है। इसके अलावा, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया था। एक भाजपा नेता ने कहा कि वेतन वृद्धि का तर्क यह था कि 2018 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी, लेकिन इसे तीन गुना बढ़ाना और इसे देश में सबसे अधिक बनाना उचित नहीं था।
वेतन वृद्धि का आर्थिक प्रभाव
इन विधेयकों में विधायकों और विधानसभा के अन्य पदाधिकारियों के वेतन भत्तों को बढ़ाने का प्रावधान था, जिसके मुताबिक विधायकों का मासिक वेतन और भत्ते मिलाकर 1 लाख रुपये से बढ़कर 3.45 लाख रुपये हो जाने थे। इसके बाद, यह राशि देश में सबसे ज्यादा हो जाती। इसके अलावा, मुख्यमंत्री, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, उप मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता प्रतिपक्ष और अन्य मुख्य सचेतकों का मासिक वेतन और भत्ते भी 3.50 लाख से बढ़ाकर 3.68 लाख रुपये करने का प्रस्ताव था।
राज्य की खजाने पर बोझ बढ़ने की संभावना
विधायकों के वेतन और भत्तों में वृद्धि से राज्य के खजाने पर हर साल करीब 45 से 50 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने का अनुमान था। इस फैसले को बढ़ती महंगाई के संदर्भ में सही ठहराया गया था। लेकिन अब इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं और इसके विरोध में जनभावनाओं का सम्मान करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इन विधेयकों को पारित करने के समय भाजपा, बीजद और कांग्रेस तीनों दलों के विधायकों ने इसका समर्थन किया था। केवल माकपा विधायक लक्ष्मण मुंडा ने इसका विरोध किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष नवीन पटनायक ने भी इस बढ़ी हुई राशि को लेने से इनकार कर दिया था, जिससे मामला और भी विवादित हो गया।









