
Desk : भारत के सिविल एविएशन क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित हुआ है, जब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव-NG ने बेंगलुरु में पहली बार उड़ान भरी। केंद्रीय सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस हेलीकॉप्टर की पहली उड़ान का उद्घाटन किया और इस अवसर पर हेलीकॉप्टर के कॉकपिट में पायलट के साथ बैठकर इसके एडवांस्ड सिस्टम और फीचर्स का अनुभव लिया।
#WATCH | Bengaluru, Karnataka | Union Civil Aviation Minister Ram Mohan Naidu flags off the inaugural flight of the Advanced Light Helicopter, Dhruv-NG, a civil variant of the indigenous helicopter showcased by HAL at the 2025 Aero India show. pic.twitter.com/AJBh0XCyV7
— ANI (@ANI) December 30, 2025
HAL अधिकारियों के अनुसार, ध्रुव-NG एक 5.5 टन का हल्का, दो इंजन वाला मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर है, जिसे भारतीय इलाकों की अलग-अलग और कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। यह हेलीकॉप्टर ग्लोबल सिविल एविएशन मार्केट के कड़े स्टैंडर्ड को पूरा करने के लिए अपग्रेड किया गया है।
ध्रुव-NG हेलीकॉप्टर में बेहतर सुरक्षा, प्रदर्शन और आराम के साथ साथ, इसके डिज़ाइन में सेफ्टी को प्राथमिकता दी गई है। इसमें क्रैश होने वाली सीटें, सेल्फ-सीलिंग फ्यूल टैंक, और ट्विन-इंजन कॉन्फ़िगरेशन जैसे फीचर्स शामिल हैं, जो इसकी विश्वसनीयता और रिडंडेंसी को बढ़ाते हैं।
इस हेलीकॉप्टर की प्रमुख स्पेसिफिकेशन्स में शामिल हैं:
मैक्सिमम टेक-ऑफ वेट: 5,500 किलोग्राम
टॉप स्पीड: लगभग 285 किमी/घंटा
रेंज: लगभग 630 किमी
एंड्योरेंस: लगभग 3 घंटे 40 मिनट
सर्विस सीलिंग: 6,000 मीटर
इंटरनल पेलोड कैपेसिटी: लगभग 1,000 किलोग्राम
इसके अलावा, हेलीकॉप्टर का केबिन 7.33 क्यूबिक मीटर का है, जो आसानी से सेट किया जा सकता है। VIP या VVIP ट्रांसपोर्ट के लिए इसमें चार से छह यात्री बैठ सकते हैं और इसकी मैक्सिमम कैपेसिटी 14 है। हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस (HEMS) कॉन्फ़िगरेशन में डॉक्टर और अटेंडेंट के साथ चार स्ट्रेचर ले जा सकता है।
HAL ने ध्रुव-NG को “इम्पोर्टेड हल्के ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टरों का सस्ता, हाई-परफॉर्मेंस विकल्प” बताया है, जिसे विशेष रूप से ऑफशोर ऑपरेशन, सर्च एंड रेस्क्यू, और कानून प्रवर्तन कार्यों के लिए तैयार किया गया है।
यह हेलीकॉप्टर भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके साथ भारत की स्वदेशी रोटरी-विंग क्षमता में और भी उन्नति की उम्मीद जताई जा रही है।









