नए वर्ष में Supreme Court में बड़ा बदलाव,वकीलों को तय समय सीमा में करनी होगी बहस…

ह नया नियम त्वरित न्याय और प्रभावी कोर्ट प्रबंधन के उद्देश्य से लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार वकीलों की मौखिक बहस के लिए समय सीमा लागू की है, जिससे अब समय की अनिश्चितता को समाप्त कर, केसों का जल्दी निस्तारण हो सके।

नई दिल्ली: नए वर्ष में सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अब निर्धारित समय सीमा में ही अपनी मौखिक दलीलें रखेंगे। यह नया नियम त्वरित न्याय और प्रभावी कोर्ट प्रबंधन के उद्देश्य से लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार वकीलों की मौखिक बहस के लिए समय सीमा लागू की है, जिससे अब समय की अनिश्चितता को समाप्त कर, केसों का जल्दी निस्तारण हो सके।

सुप्रीम कोर्ट के सर्कुलर के अनुसार, यह समय सीमा और एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तत्काल प्रभाव से लागू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे प्रभावी कोर्ट प्रबंधन, न्यायालय के कार्य घंटों का समान वितरण और न्याय की त्वरित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जारी किया है।

बता दें कि, वकील अब सुनवाई से एक दिन पहले मौखिक बहस की टाइमलाइन दाखिल करेंगे। प्रत्येक वकील को अपनी दलीलें कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा में पेश करनी होंगी। वकील मौखिक दलीलें कोर्ट के ऑनलाइन पोर्टल पर दाखिल करेंगे। इसके अलावा, वकीलों को कम से कम तीन दिन पहले लिखित दलीलें दाखिल करनी होंगी, और ये पांच पेज से अधिक नहीं हो सकतीं। लिखित दलीलें भी दूसरे पक्ष को सौंपनी होंगी।

वहीं , सुप्रीम कोर्ट में इस समय 92,010 मामले लंबित हैं, जिनमें 72,658 दीवानी और 19,352 आपराधिक केस शामिल हैं। इस समय कोर्ट में 219 केसों की सुनवाई तीन जजों की पीठ द्वारा की जा रही है, जबकि 27 केसों की सुनवाई पांच जजों की पीठ द्वारा की जा रही है।

बता दें कि, अब तक का सबसे लंबा मौखिक बहस का केस ‘केशवानंद भारती’ मामला था, जिसकी सुनवाई 68 दिनों तक चली थी। इसके बाद राम जन्मभूमि का केस आता है, जिसकी सुनवाई 40 दिनों तक चली थी। हालांकि, नए नियमों के लागू होने के बाद, इस तरह के मामलों में समय सीमा का पालन कड़ाई से किया जाएगा, जिससे लंबी बहसों का रिकार्ड टूटने की संभावना कम है।

सुप्रीम कोर्ट के सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के निस्तारण की दर 87 प्रतिशत रही है। सीजेआइ सूर्यकांत ने पद संभालते ही यह स्पष्ट किया था कि लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा उनकी प्राथमिकता है।

नए समय सीमा के नियमों से जल्द निपटारे में मदद मिलेगी, और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा मामलों की गति तेज होगी, जिससे लंबित मुकदमों का निपटारा शीघ्र हो सकेगा।

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