
Lucknow: मरीजों की ज्यादा भीड़ को देखतें सरकारी एलोपैथिक अस्पतालों के डॉक्टरों को जल्द राहत मिलेगी। आयुर्वेद के चिकित्सकों को अब छोटे-मोटे ऑपरेशन करने की अनुमति मिलने जा रही है।
बता दें, इस कदम से सरकारी एलोपैथिक अस्पतालों पर दबाव कम होगा, जहां मरीजों की भीड़ काफी बढ़ गई है। आयुष विभाग इस व्यवस्था के तहत आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने के लिए नई गाइडलाइन तैयार कर रहा है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
बता दें कि, आयुर्वेदिक चिकित्सकों को टांका लगाने, बवासीर, फोड़ा-फुंसी, और नाक, कान, गले से जुड़ी सामान्य सर्जरी करने की अनुमति मिल सकेगी। इससे आयुर्वेदिक अस्पतालों में भी सामान्य सर्जरी का इलाज उपलब्ध होगा। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) ने शल्य तंत्र और शल्यक में स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त छात्रों को शल्य चिकित्सा करने की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन किया है। इस परिवर्तन के तहत आयुर्वेद के चिकित्सक शल्य चिकित्सा में भी अपनी सेवाएं दे सकेंगे।
आपको बता दें कि, नई गाइडलाइन के अनुसार आयुर्वेद के परास्नातक डिग्रीधारी चिकित्सकों को एलोपैथी अस्पतालों में छह महीने तक विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। इस प्रशिक्षण के दौरान, चिकित्सक आपात स्थिति में उपचार, एलोपैथी से जुड़ी सर्जरी की सावधानियां, और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं को सीख सकेंगे।
आंध्र प्रदेश में पहले ही इस व्यवस्था को लागू किया जा चुका है, और अन्य राज्यों में इसकी प्रभावशीलता का आकलन किया जा रहा है। आयुर्वेद के चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति मिलने से मरीजों को राहत मिलेगी और आयुर्वेद अस्पतालों में आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इस व्यवस्था को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का विरोध भी सामने आया है, लेकिन आयुष विभाग इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
वहीं, यह कदम आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा को इंगीत करता है, जो मरीजों के लिए एक बेहतर इलाज और अधिक विकल्प प्रदान करेगा।





