
खालिस हिन्दुत्व और ध्रुवीकरण के सहारे टिका संगीत सिंह सोम का कैरियर इस विधानसभा चुनाव में हिचकोले खा गया. समाजवादी पार्टी के अतुल प्रधान संगीत सिंह सोम के चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने में सफल हुए और उन्होने सरधना विधानसभा सीट से संगीत सिंह सोम को चुनावी कुरूक्षेत्र में पटखनी दे दी है. मतगणना पूरी होती, उससे पहले ही संगीत सिंह सोम मतगणना स्थल को छोड़कर चले गये. मतगणना केन्द्र से निकलते वक्त संगीत सिंह सोम मीडिया से नजरें बचाते नजर आये.
धर्म और मुसलमानों को लेकर विवादित बयान देने वाले मेरठ के बीजेपी नेता संगीत सिंह सोम को इस बार जनता ने बुरी तरह नकार दिया है. संगीत सिंह सोम सरधना सीट से चुनाव हार गये है. इस विधानसभा चुनाव में उनकी हार की स्क्रिप्ट उसी समय तय हो गयी थी जब बसपा ने चुनावी मैदान में उनके सामने जाट प्रत्याशी को टिकट दी थी.
बसपा के प्रत्याशी संजीव धामा महज 18140 वोट ही हासिल कर सके. अतुल प्रधान ने 18200 वोटों के अंतर से संगीत सिंह सोम का हराया है.
अतुल प्रधान को अबकी बार इस सीट पर अपने मनमाफिक समीकरण मिले थे. राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने के साथ उनको जाट बिरादरी का वोट मिलने की उम्मीद पुख्ता हो गयी थी. इस विधानसभा नतीजों में मेरठ कृषि कानून आंदोलन से प्रभावित इलाका साबित हुआ है. साथ ही अतुल प्रधान ने इस सीट पर मुस्लिम, दलित, गुर्जर समेत ओबीसी और अनुसूचित जातियों के वोट को लंबे वक्त से साधने का काम किया.
संगीत सिंह सोम के खिलाफ ठाकुरों की नाराजगी भी अतुल प्रधान के लिए मुफीद साबित हुई. ठाकुर चौबीसी के 5 गांवों में संगीत सिंह सोम का लंबे समय से विरोध था और वहां ठाकुरों ने उन्हें वोट न देने का ऐलान भी किया था.
मतगणना शुरू हुई तो ठाकुर चौबीसी के गांवों से संगीत सिंह सोम ने 10 हजार वोटों से ज्यादा की बढ़त हासिल की लेकिन जैसे ही ठाकुर चौबीसी में विरोध के क्षेत्र वाली ईवीएम के वोट की गिनती शुरू हुई, संगीत सिंह सोम की बढ़त धीरे-धीरे कम होती चली गयी.
अतुल प्रधान ने संगीत सिंह सोम के खिलाफ बढ़त दर्ज की और मतगणना के दौरान इस बढ़त का ग्राफ तेजी से ऊपर को जाता हुआ दिखा. करीब 12 हजार की बढ़त के साथ अतुल प्रधान के अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों की ईवीएम खुलती जा रही थी.
संगीत सिंह सोम नतीजों को जल्दी भांप गये और गिनती पूरी होने के करीब एक घंटे पहले ही अचानक मतगणना स्थल से निकल गये. संगीत सिंह सोम के जाने के कुछ देर बाद उनके ऐजेंट भी मतगणना स्थल से निकले. संगीत सिंह सोम के कई ऐजेंट बाहर निकलते वक्त रोते हुए भी दिखे. हमेशा मीडियों के कैमरों से घिरे रहने का शौक रखने वाले संगीत सिंह सोम ने पत्रकारों से भी बात नही की. अपने जल्दी निकलने के बहाने पर वह बोले- “अभी 5 मिनट में लौट कर आता हूं. आपके हर सवाल का जबाब दूंगा.”
खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने सरधना आये थे मोदी,योगी-
संगीत सिंह सोम की छवि कट्टर हिंदूवादी ठाकुर नेता की है. लेकिन पिछले दिनों ठाकुर समाज के कुछ लोगो से हुए जमीन विवादों में संगीत सिंह सोम की भूमिका अपने ही लोगो के खिलाफ रही. ठाकुर बिरादरी इससे खासी नाराज थी. संगीत सिंह के कुछ चहेतों ने भी कुछेक सालों में उनके नाम पर खूब विवाद बटोरों. इससे भी इलाके में उनके खिलाफ माहौल था.
कृषि कानून आंदोलन से प्रभावित इस क्षेत्र में जाटों की नाराजगी खत्म करने के लिए चुनावों के ऐलान से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री य़ोगी आदित्यनाथ ने एक विशाल जनसभा की थी और यहां खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी थी. लेकिन इस बड़े प्रोजेक्ट के जरिये भी भाजपा हाईकमान संगीत सिंह सोम और सरकार के खिलाफ जाटों की नाराजगी कम नही कर सका.
संजीव बालियान का जादू भी बेअसर-
इस इलाके में खासा दखल रखने वाले जाट नेता और केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान ने सरधना सीट पर संगीत सिंह सोम के लिए जमकर प्रचार किया. संगीत सिंह सोम के नामांकन से लेकर अंतिम दौर वह इस इलाके में रहे. लेकिन जाटों की नाराजगी खत्म कराने में नाकाम रहे.
संजीव बालियान अपने गृह जनपद मुजफ्फरनगर में भी जाटों को मनाने में नाकाम रहे. मुजफ्फरनगर में शहर और खतौली सीट को छोड़कर बाकी 4 सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन ने जीत दर्ज की है. संजीव बालियान के होमटाउन बुढ़ाना की सीट भी उनके अजीज दोस्त उमेश मलिक हार गये है.
संजीव बालियान ने इस सीट को जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था. संजीव बालियान के होमटाउन बुढ़ाना में किसानों की राजधानी कहा जाने वाला सिसौली भी आता है. यह भारतीय किसान यूनियन का मुख्यालय है और यहां टिकैत परिवार खासा असरदार है. संजीव बालियान हर प्रयास के बाबजूद भी यह असर कम नही कर सके.









