
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने विधान परिषद चुनावों में अपने दलों से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। जिससे एमएलसी चुनाव में सीधा मुकाबला सत्तारूढ़ दल भाजपा और राज्य विधानसभा में प्रमुख विपक्ष समाजवादी पार्टी के बीच है। इन दोनों दलों के अलावा कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं और इस तरह कुल 95 उम्मदीवारों की किस्मत का फैसला आज होना है।
वर्तमान में 100 सदस्यीय विधान परिषद में भाजपा के 34 एमएलसी, समाजवादी पार्टी के 17 और बहुजन समाज पार्टी के चार एमएलसी हैं। कांग्रेस, अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी से सदन में एक-एक सदस्य हैं। शिक्षक समूह में दो एमएलसी हैं, जबकि स्वतंत्र समूह (‘निर्दल समूह’) और निर्दलीय के पास एक-एक एमएलसी है।
फिलहाल, राज्य विधान परिषद में कुल 37 सीटें खाली हैं। एक हफ्ते पहले भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि पार्टी के लिए 36 सीटें जीतना महत्वपूर्ण है ताकि उनकी सरकार के विकास के एजेंडे को बिना किसी बाधा के आगे बढ़ाया जा सके। इन 36 सीटों में से भाजपा ने नौ सीटों पर निर्विरोध जीत हांसिल किया हैं।
सीएम योगी ने आगे कहा था, “यदि पार्टी सभी 36 सीटें जीत जाती है, तो आप मान सकते हैं कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में उसके पास दो-तिहाई बहुमत होगा और विकास योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने में कोई समस्या नहीं होगी।” बता दें कि बदायूं, हरदोई, खीरी, मिर्जापुर-सोनभद्र, बांदा-हमीरपुर, अलीगढ़, बुलंदशहर और मथुरा-एटा-मैनपुरी जैसे आठ स्थानीय प्राधिकरणों के निर्वाचन क्षेत्रों से नौ एमएलसी निर्विरोध चुने गए। जिसमें मथुरा-एटा-मैनपुरी स्थानीय प्राधिकरण के निर्वाचन क्षेत्र से दो एमएलसी, जबकि बाकी निर्वाचन क्षेत्रों से एक-एक एमएलसी निर्विरोध निर्वाचित हुए।









