
हरिद्वार धर्म संसद के दौरान भड़काऊ बयान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच में प्रगति को लेकर उत्तराखंड सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है साथ ही हिमाचल प्रदेश में होने वाली धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग पर याचिकाकर्ता को स्थानीय कलेक्टर से संपर्क करने की छूट दी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता हिमाचल प्रदेश सरकार के वकील को याचिका की कॉपी देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में आज मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार की तरफ से पेश वकील के काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के लिए और समय मांगा। उत्तराखंड सरकार के वकील ने बताया कि मामले में अब तक चार एफआईआर दर्ज हुई है और 3 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। आज याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हिमाचल प्रदेश में रविवार को होने वाली धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग किया जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि पहले हिमाचल प्रदेश सरकार को चुनना होगा याचिकाकर्ता है थाने कलेक्टर के पास धर्म संसद पर रोक लगाने की मांग को लेकर जा सकते हैं।
हरिद्वार में धर्म संसद के दौरान दिया गया भड़काऊ भाषण के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग को लेकर पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाई कोर्ट के पूर्व जज अंजना प्रकाश ने याचिका दाखिल किया है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश के बीच में 12 जनवरी को केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था इसके बाद उत्तराखंड की पुलिस ने यति नरसिंहानंद और जितेंद्र नारायण त्यागी को धर्म संसद में भड़काऊ बयान के मामले में गिरफ्तार किया था सुप्रीम कोर्ट में हिंदू सेना ने याचिका दाखिल कर धर्म संसद में भड़काऊ भाषण के मामले में हुई कार्रवाई का विरोध किया याचिका में कहा कि अगर धर्म संसद मामले में कार्रवाई की जाती है तो मुस्लिम नेताओं को भी भड़काऊ भाषण मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। बीते साल 2021 में 17 और 19 दिसंबर को हरिद्वार मैं यती नरसिंहानंद की तरफ से और दूसरा कार्यक्रम दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से आयोजित किया गया था।









