प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी धर्म को चुनने और मानने का अधिकार- दिल्ली हाई कोर्ट

धर्मांतरण के लिए काला जादू, अंधविश्वास, धमकी और उपहारों को देने को अपराध घोषित करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार पर निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कानून में धर्म परिवर्तन करने पर रोक नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी धर्म को चुनने औए मानने का अधिकार है, यह उसका संविधान का अधिकार है, अगर किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो कोर्ट इसमें दखल दे सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह चाहे तो याचिका पर विचार कर कोई कार्रवाही कर सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

धर्मांतरण के लिए काला जादू, अंधविश्वास, धमकी और उपहारों को देने को अपराध घोषित करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार पर निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कानून में धर्म परिवर्तन करने पर रोक नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी धर्म को चुनने औए मानने का अधिकार है, यह उसका संविधान का अधिकार है, अगर किसी का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो कोर्ट इसमें दखल दे सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह चाहे तो याचिका पर विचार कर कोई कार्रवाही कर सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।

दरअसल, बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका कर केंद्र और दिल्ली सरकार के धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने का निर्देश देने की मांग की है। याचिका में कहा कि लोगों को डरा धमका कर, काला जादू करके, अंधविश्वास और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में कई संस्था बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कर रही है। ऐसी संस्थाएं ग्रामीण इलाके में गरीब वंचित और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों का धर्म परिवर्तन करा रही हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान बीजेपी नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर सवाल उठाते हुए पूछा कि याचिका में ऐसी किसी घटना का हवाला नहीं दिया गया है। कोई दस्तावेज़ी सबूत नहीं दिया गया है। आआप बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की बात कर रहे है  लेकिन इसको लेकर कोई आंकड़ा याचिका में पेश नहीं किया गया है, आपकी याचिका सिर्फ आशंकाओं पर आधारित है। वकील अश्वनी उपाध्याय ने जब कोर्ट को सोशल मीडिया पर मौजूद आंकड़ों का हवाला दिया तो कोर्ट ने इसपर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा सोशल मीडिया का डाटा कोई विश्वसनीय डाटा नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर तथ्यों को आसानी से बदला जा सकता है और बीस साल पुरानी घटना को कल की बता कर दिखाया जाता है। सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से ASG चेतन शर्मा ने कहा कि जबरन धर्मांतरण एक संजीदा मामला है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर सरकार चाहे तो कोई कार्यवाही कर सकती है।

BJP नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा कि संविधान का आर्टिकल 14 कानून के समक्ष समानता की बात करता है लेकिन दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी धर्मांतरण को लेकर कोई एक कानून नहीं है। याचिका में डरा धमकाकर, लालच देकर धर्मांतरण गाजियाबाद  में अपराध है, पर पूर्वी दिल्ली में ऐसा नहीं है।  इस तरह जादू टोने के जरिये धर्मांतरण गुरुग्राम में अपराध है लेकिन पश्चिमी दिल्ली में ऐसा नहीं है।

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