
डेस्क: धरती पुत्र के नाम से सुशोभित मुलायम सिंह यादव आज हम सभी को अलविदा कह गए. उन्होंने आज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल आखिरी सांस ली. यूपी में 3 दिवसीय शोक की की घोषणा की गई है. वही कोई अपनी आखों पर यकीन नही कर पा रहा है कि अब हम सब के बीच नेता जी नही रहे. मुलायाम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे है. वो एक कुशल भारतीय राजनीतिज्ञ को तौर जाने जाते रहेंगे. सपा संस्थापक का जन्म 21 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ था. वो यूपी के 3 बार मुख्य मंत्री भी रहे. साथ ही वो भारत के रक्षा मंत्री का पद संभाल चुके हैं. मुलायम सिंह यादव वर्तमान में मैनपुरी के सांसद है. मुलायम सिंह को धरती पुत्र के तौर पर जाना जाता है. नेता जी 7 बार के सांसद और 8 बार के विधायक रह चुके है.
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई. एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई. ‘भारतीय जनता पार्टी’ के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई. 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था.
आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव 8 बार विधायक रह चुके है. 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में वो विधायक बनें. विधान परिषद में 1982-1985 में रहे. केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के तौर उन्होंने सहकारिता और पशुपालन मंत्री 1977 कमान संभाली. इसके बाद रक्षा मंत्री के तौर पर 1996-1998 तक रहे.
मुलायम की राजनीति में शुरुआत राम मनोहर लोहिया और राज नारायण जैसे नेताओं की शागिर्दी में हुई. यादव पहली बार 1967 में विधान सभा के सदस्य चुने गए थे. 1975 में, इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने के दौरान वे 19 महीने तक जेल में रहे. मुलायम 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. साल 1992 में, यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की. 1993 में, वे दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वहीं, तीसरी और आखिरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी उन्होंने सितंबर 2003 में संभाली.









