
बीते शुक्रवार को यूपी के मेरठ से बड़ी खबर सामने आई. कोरोना लॉकडाउन के दौरान करीब 400 गरीब रोटी के नाम पर ठगे गए. लॉकडाउन के दौरान झुग्गियों में रहने वाले इन गरीबों को भोजन और मदद देने के नाम पर धर्मांतरण करा दिया गया. इस गरीबों को हिन्दू से ईसाई बना दिया गया. अब इन गरीबों पर चर्च जाने का दबाव बनाया जा रहा है और उन्हें अपना नाम आधार कार्ड में बदलवाने को मजबूर किया जा रहा है.
पूरे मामले को लेकर मेरठ के बीजेपी नेता दीपक शर्मा और समाजसेवी सचिन सिरोही ने एसएसपी से शिकायत की है. वहीं पीड़ितों की शिकायत के आधार पर मेरठ पुलिस ने ब्रह्मपुरी थाने में चार महिलाओं समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. दरअसल, मेरठ में जिस जगह पर यह घटना कारित की गई है वह इलाका मंगतपुरम के नाम से जाना जाता है.
इस इलाके में एक डंपिंग ग्राउंड भी है जिसके आसपास झुग्गी झोपड़ियों में बहुत से गरीब रहते हैं. कोरोना काल के दौरान इन गरीबों को भोजन-पानी की बहुत फिक्र थी और इनको खाना मिलना बंद हो गया था. उस समय ईसाई धर्म के कुछ लोगों ने इनकी मदद की और इसके बाद सभी गरीबों का धीरे-धीरे धर्मांतरण करा दिया.
महेश पास्चर नाम के व्यक्ति ने इस पूरे धर्मांतरण की प्रक्रिया को अंजाम दिया. जानकारी के मुताबिक, महेश दिल्ली के किसी ईसाई मिशनरी से जुड़े हुए हैं. महेश की पत्नी भी विदेशी हैं और ईसाई है. दोनों ने मिलकर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया और 100-150 झुग्गी-झोपड़ी वाले परिवारों से लगभग 400 लोगों का धर्मांतरण करा दिया.
मंगतपुरा के बस्ती में एक स्थाई चर्च भी बनाया गया है. दिक्कत तब शुरू हुई जब लोगों ने दिवाली के उपलक्ष्य पर लक्ष्मी गणेश की पूजा करनी चाही. उनके कैलेंडर और तस्वीरें कथित रूप से फाड़ दिए गए. वहां कुछ दबंगों को लगा दिया गया था जिसके बाद पीड़ितों ने मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद की और ये कहा कि मदद के नाम पर उनके साथ छल किया गया है. बहरहाल, पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की है. कुछ आरोपी गिरफ्तार भी कर लिए गए हैं और अग्रिम कानूनी कार्रवाई की जा रही है.









