फसल खरीद को लेकर अखिलेश ने सरकार पर साधा निशाना, बोले- प्रशासन की सुस्ती पड़ रही किसानों पर भारी…

उन्होंने कहा कि किसान भाजपा सरकार की अव्यवस्थाओं के चलते परेशान हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया समय से पूरी न होने के चलते किसान धान क्रय केन्द्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तहसील में लेखपाल किसानों के डाक्यूमेंट्स समय से सत्यापित नहीं कर रहे हैं. प्रशासन की सुस्ती किसानों पर भारी पड़ रही है.

शनिवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में दादरी एनटीपीसी प्लांट पर शांतिपूर्वक धरना दे रहे किसानों पर पुलिस ने निर्मम लाठीचार्ज किया. महिलाओं को बुरी तरह पीटा गया और दर्जनों किसानों को गिरफ्तार किया गया. अन्नदाताओं पर लाठीचार्ज करना, धरना प्रदर्शन रोकना और उन्हें जेल भेजना लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है.

अखिलेश ने इस कृत्य को बेहद निंदनीय बताया और कहा कि लाठी के सहारे किसानों की आवाज को दबाना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है. उन्होंने भाजपा की किसानों की आमदनी दुगनी करने के दावे को झांसा करार दिया. सपा सुप्रीमों ने कहा कि भाजपा ने अन्नदाताओं को साल 2022 तक आय दुगनी करने का झांसा दिया है.

उन्होंने कहा कि एमएसपी पर फसल खरीद का सपना देखते किसानों को वर्षों बीत गए. बीजेपी सरकार में गन्ना किसानों को ब्याज सहित बकाया भुगतान नहीं हो रहा है. अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की अफसरशाही पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया को नए-नए निर्देश देने का शौक है तो अधिकारियों को उससे बेपरवाह रहने का शौक है.

उन्होंने कहा कि किसान भाजपा सरकार की अव्यवस्थाओं के चलते परेशान हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया समय से पूरी न होने के चलते किसान धान क्रय केन्द्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तहसील में लेखपाल किसानों के डाक्यूमेंट्स समय से सत्यापित नहीं कर रहे हैं. प्रशासन की सुस्ती किसानों पर भारी पड़ रही है.

अखिलेश ने आगे कहा कि दरअसल, भाजपा किसानों की नहीं बड़ी कम्पनियों का हित साधती है. सरकारी क्रय केन्द्रों की अव्यवस्थाओं के चलते कई कम्पनियां औने-पौने दाम पर धान की खरीद करने में लग जाएंगी. गेहूं खरीद में यह सब सामने आ चुका है. बड़ी कम्पनियों की सरकार से मिली भगत के चलते प्रदेश का किसान-परेशान हाल है. उसके हिस्से में कर्ज और अपमान ही आ रहा है. पूंजीपतिपरस्त भाजपा सरकार से किसानों के हितों के संरक्षण की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

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