जोशीमठ में स्थापित होगी सूक्ष्म भूकंप अवलोकन प्रणाली, कमजोर भूकंपीय तरंगों से पता चलेगा भू-धंसाव का कारण!

माइक्रो सेसेमिक ऑब्जर्वेशन प्रणाली एक ऐसी तकनीकी है जिसके जरीए कमजोर भूकंपीय तरंगों का उपयोग करके चट्टानों में दरार, जमीन के अंदर की सेसेमिक विक्षोभ और टूटे-फूटे भौगोलिक ज्यमितियों के कारणों आदि का पता लगाया जाता है.

देवभूमि के जोशीमठ में भू-धंसाव पर केंद्र सरकार की लगातार नजर है. इसी क्रम में मंगलवार को मामले से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि विज्ञान मंत्रालय अगले पांच सालों में जोशीमठ समेत 100 जगहों पर माइक्रो सेसेमिक ऑब्जर्वेशन प्रणाली स्थापित करेगा.उन्होंने जानकारी दी कि इस तरह की प्राणाली से भू-धंसाव के कारणों का पता चल सकेगा.

मंगलवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि बीते दो साल में देशभर में 37 माइक्रो सेसेमिक ऑब्जर्वेशन प्रणाली की स्थापना की जा चुकी हैं. इनकी मदद से भूकंपीय रियल टाइम डाटा मिल सकेगा. जिससे जमीन के इस तरह धंसाव का कारण पता चल सकेगा. साथ ही इस डाटा की मदद से आवासों और बुनियादी ढांचे के सुरक्षित निर्माण में मदद मिल सकेगी.

बता दें कि माइक्रो सेसेमिक ऑब्जर्वेशन प्रणाली एक ऐसी तकनीकी है जिसके जरीए कमजोर भूकंपीय तरंगों का उपयोग करके चट्टानों में दरार, जमीन के अंदर की सेसेमिक विक्षोभ और टूटे-फूटे भौगोलिक ज्यमितियों के कारणों आदि का पता लगाया जाता है. माइक्रो सेसेमिक ऑब्जर्वेशन एक निष्क्रिय तकनीक है जिसमें तीन-अक्षीय त्वरणमापी का उपयोग करते हुए छोटे भूकंपीय घटनाओं का पता लगाया जा सकता है.

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