
राज्य सरकार ने जोशीमठ के प्रभावितों में से 130 परिवारों को पीपलकोटी में स्थायी तौर पर पुनर्वासित करने का निर्णय लिया है। अस्थायी पुनर्वास के प्रति प्रभावितों ने रुचि नहीं दिखाई थी।
जोशीमठ में साढे आठ सौ से अधिक प्रभावित परिवार राहत शिविरों में ठहराए गए हैं। असुरक्षित हो चुके भवनों से परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का क्रम जारी है। दरारों के कारण जेपी कालोनी के 15 भवनों तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जांच एजेंसियों के लिए समय सीमा तयजोशीमठ में भूधंसाव के कारणों का पता लगाने और उपचार की दिशा तय करने के लिए आइआइटी रुड़की, सीबीआरआइ, वाडिया भूविज्ञान संस्थान और जीएसआइ समेत आठ एजेंसियां अध्ययन में जुटी हुई हैं।
मंगलवार को राज्य सरकार ने इन सभी की जांच रिपोर्ट के लिए समय सीमा तय कर दी है। जोशीमठ के भविष्य को लेकर किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।









