विदेश से ट्रेनिंग लेकर वापस लौटे शिक्षकों से CM भगवंत मान और केजरीवाल होंगे मुखातिब, बातचीत कर जानेंगे अनुभव

राज्य सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारियों ने कहा कि 'एक्सपीरियंस शेयरिंग सेशन' में पंजाब और दिल्ली के शिक्षक और प्रिंसिपल शामिल होंगे. इस महीने की शुरुआत में, केजरीवाल ने पंजाब का हवाला देते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से दिल्ली के शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए फिनलैंड में एक विदेशी प्रशिक्षण मॉड्यूल से संबंधित एक फाइल को मंजूरी देने का अनुरोध किया था.

विदेश से प्रशिक्षण लेकर वापस लौटे सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्यों से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बातचीत करेंगे. शनिवार को आप शासित दोनों राज्यों के सरकारी स्कूलों के 36 प्रधानाचार्य सिंगापुर से ट्रेनिंग लेने के बाद स्वदेश वापस लौटे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी में इन शिक्षकों से मुखातिब होंगे.

दिल्ली सरकार ने अब तक अपने विभिन्न विदेशी भ्रमण या प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने 1,079 शिक्षकों को विभिन्न देशों में भेजा है. इनमें से 59 शिक्षक प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड, 420 कैंब्रिज और 600 सिंगापुर गए हैं. इसके अलावा अब तक 860 स्कूल प्रिंसिपल आईआईएम अहमदाबाद और लखनऊ जैसे संस्थानों में प्रशिक्षण ले चुके हैं.

राज्य सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारियों ने कहा कि ‘एक्सपीरियंस शेयरिंग सेशन’ में पंजाब और दिल्ली के शिक्षक और प्रिंसिपल शामिल होंगे. इस महीने की शुरुआत में, केजरीवाल ने पंजाब का हवाला देते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से दिल्ली के शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए फिनलैंड में एक विदेशी प्रशिक्षण मॉड्यूल से संबंधित एक फाइल को मंजूरी देने का अनुरोध किया था.

तब उन्होंने कहा था, “मैं एल-जी साहब से अपील करता हूं कि दिल्ली के शिक्षकों को भी प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड जाने की अनुमति दें. दिल्ली की तर्ज पर पंजाब के सरकारी स्कूलों के 36 प्रिंसिपल सिंगापुर जा रहे हैं. वे पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक बदलाव लाएंगे.

केजरीवाल के मुताबिक, दिल्ली के 1,000 से अधिक शिक्षक प्रशिक्षण के लिए विदेश गए थे और लौटने के बाद “उन्होंने अपने स्कूलों को बदल दिया.” उन्होंने कहा, “अब, 30 शिक्षकों को मार्च में जाना है; हमने 20 जनवरी को तीसरी बार एलजी को फाइल भेजी थी, जो तब से उनके पास लंबित है. ऐसा लगता है कि यह प्रशिक्षण भी रद्द कर दिया जाएगा.” सक्सेना के कार्यालय ने तर्क दिया था कि उन्होंने किसी प्रस्ताव को नहीं रोका था बल्कि इसकी व्यवहार्यता का आंकलन करने के लिए केवल एक अध्ययन की मांग की थी.

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