
ग्वालियर. संदर्भ ग्रंथों और दुर्लभ पुस्तकों के लिए जेयू पुस्तकालय में नौ सौ से अधिक दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह है. ये किताबें इतनी कीमती हैं कि इन्हें पुस्तकालय में अलग से रखा जाता है. इस पुस्तकालय में बहुत सारी किताबें ऐसी हैं जो 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच प्रकाशित हुईं हैं. अब उनकी अन्य कोई प्रति बची भी नहीं है. पुस्तकालय में लगभग दो लाख से अधिक किताबें हैं. इस पुस्तकालय में अनेकों ऐसी पुस्तकें हैं जो कि अत्यंत दुर्लभ और ऐतिहासिक महत्व भी रखती हैं.
इन पुस्तकों का अंकरूपण किया गया है. इसके साथ ही इस पुस्तकालय को आधुनिक बनाने के लिए इसकी किताबों की रैक भी बनाई गई हैं, जिन पर पुस्तकों के नंबर दिए गए हैं. इसके अलावा सभी रैकों पर आरएफआइडी कोड डाले गए हैं, जिसके कारण पाठकों को आसानी से पुस्तकें उपलब्ध हो सकें. पुस्तकों को डिजिटलाइज कर दिए जाने के कारण अब इन पुस्तकों को ई-संसाधन के माध्यम से घर बैठे पता लगा सकते हैं कि कौन सी पुस्तक पुस्तकालय में उपलब्ध है या नहीं.
पुस्तकालय में प्राचीन भारत के इतिहास और संस्कृति से जुड़ीं दो सौ से अधिक प्राचीन पांडुलिपियां हैं. इन्हें भी डिजिटाइज किया गया है.ऑनलाइन भी इनके बारे में जानकारी ली जा सकती है. पुस्तकालय में शोध जर्नल का भी बड़ा संग्रह है. आठ हजार चार सौ पचास के लगभग शोध जर्नल (बाउंड वॉल्यूम) के संस्करण हैं. काफी शोधार्थी यहां आते हैं.
पुस्तकालय में वर्तमान में साठ से अधिक प्रिंट जर्नल हैं. साठ से अधिक थीसिस और शोध प्रबंध व नौ सौ से अधिक दुर्लभ किताबें हैं. इन दुर्लभ किताबों में भारतीय संविधान की मूल कॉपी, चारों वेदों की कॉपी, ग़ालिब के सौ अंदाज, नटराज, रूबैय्यत ऑफ ओमर खय्याम, द मोनुमेंट ऑफ सांची, राग रत्नाकर, मराठी पोथी, कविप्रिया, एनसाइक्लोपीडिया ऑफ गुरूज सहित दुर्लभ किताबें उपलब्ध हैं.
इन विषयों की पुस्तकें हैं उपलब्ध
पुस्तकालय में साहित्य, इतिहास, समाजशास्त्र, धर्म और दर्शन से संबंधित तमाम किताबें मौजूद हैं. पुरातत्व, कला इतिहास, आर्ट जैसे विषयों पर किताबें व शोधग्रंथ उपलब्ध है. इससे भारत की संस्कृति और समाज को समझने में मदद मिलती है. जीवाजी विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी अंचल के शोधार्थियों के लिए एक बहुत बड़ा भंडार है. लाइब्रेरी में लाखों पुस्तकों का संग्रह है जिससे छात्रों को शोध में मदद मिलती है.








