
आरोप पत्र दाखिल करते समय यदि सक्षम/वैध प्राधिकरण (Sanction Authority ) से अनुमति लिए बिना चार्जेशीट दाखिल कर दी गयी है तब भी यह अनियमितता नहीं होगी और आरोपी को इस आधार पर डिफाल्ट बेल का हक़दार नहीं बना देती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक फैसला सुनाते हुए कहा कि एक आरोपी व्यक्ति इस आधार पर डिफ़ॉल्ट जमानत का हकदार नहीं होगा कि उसके खिलाफ दायर चार्जशीट वैध प्राधिकरण की मंजूरी के बिना है और इसलिए एक अधूरी चार्जशीट है।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने यह फैसला सुनाया। खंडपीठ ने कहा कि चार्जशीट के लिए एक वैध प्राधिकारी की मंजूरी की आवश्यकता थी या नहीं, यह एक अपराध का संज्ञान लेते समय संबोधित किया जाने वाला प्रश्न नहीं था, बल्कि, यह अभियोजन के दौरान संबोधित किया जाने वाला प्रश्न था और इस तरह का अभियोजन एक अपराध के संज्ञान के बाद शुरू होता है।









