
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में चल रहा एक घटनाक्रम बहुत रहस्यमयी तरीके से आगे बढ़ रहा है. यह क्रम में पाकिस्तान के लाहौर में भारत विरोधी तत्वों की हत्या का. बीते दिनों पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स के कुख्यात सरगना परमजीत सिंह पंजवड़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जानकारी के मुताबिक, अज्ञात हमलावर पंजवाद के घर में घुसे और उसे गोलियों से भून डाला. घटना को अंजाम देने के बाद हमलावर मौके से फरार हो गए.
खालिस्तान कमांडो फोर्स का सरगना परमजीत सिंह पंजवड़ भारत के लिए एक मोस्ट वांटेड आतंकवादी था. हालांकि यह एकमात्र ऐसा आतंकी नहीं था जिसकी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को तलाश थी. इससे पहले हिजबुल मुजाहिदीन का शीर्ष कमांडर बशीर मीर उर्फ इम्तियाज आलम और जैश ए मोहम्मद के टॉप आतंकी जहूर मिस्त्री भी भारत में मोस्ट वांटेड थे जिनकी पकिस्तान में ही हत्या कर दी गई थी.
खालिस्तान मूवमेंट का कुख्यात था पंजवड़
80 के दशक में पंजाब में शुरू हुए खालिस्तान आंदोलन के पीछे पकिस्तान की हाथ होने के तथ्य को नकारा नहीं जा सकता. परमजीत सिंह पंजवड़ साल 1990 से ही पाकिस्तान में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था. रिपोर्ट्स की माने तो उस दौरान पंजवड़ मालिक सरदार सिंह के नाम से जाना जाता था. भारत में ड्रग्स के व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ अवैध हथियारों की सप्लाई के आरोपों में पंजवड़ को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के नजर पर चढ़ा हुआ था. भारत के पंजाब प्रान्त में जन्में पंजवड़ ने 30 जून को चंडीगढ़ पासपोर्ट कार्यालय के पास बम ब्लास्ट कराने का आरोपी था. वहीं इसका चचेरा भाई लाभ सिंह भी उस दौर में कुख्यात आतंकी था जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने निपटा दिया था. भाई की मौत के बाद पंजवड़ ने खालिस्तान कमांडो फोर्स की कमान संभाली थी.
पंजवड़ से पहले मारे जा चुके हैं दो आतंकी
पंजवड़ की हत्या से पहले हिजबुल आतंकी बशीर मीर और जहूर मिस्त्री की भी पाकिस्तान में ही हत्या हो चुकी है. मिस्त्री को तो उसी की दूकान के अंदर निपटा दिया गया था. घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए दोनों कुख्यात आतंकी जिम्मेदार थे. इसके अलावा दोनों के खिलाफ भारत में आतंकी हमले करवाने के भी कई आरोप थे. पाकिस्तान पोषित दोनों आतंकियों की तलाश भारतीय सुरक्षाबलों को बरसों से थी. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो दोनों आतंकी काफी दिनों तक पाक अधिकृत काश्मीर के इलाके में सक्रिय थे. जहां ये कश्मीरी युवाओं को आतंक की ट्रेनिंग दिया करते थे. बशीर मीर को हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सैयद सलाहुद्दीन का करीबी भी माना जाता था. दोनों आतंकियों के मारे जाने के बाद सलाहुद्दीन ने उनके जनाजे में भी शिरकत की थी और भारत के खिलाफ खूब जहर उगला था.









