
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने 14 मई को होने वाले चुनावों से पहले 1.7 मिलियन लोगों की ऐतिहासिक भीड़ के साथ रविवार को इस्तांबुल में अपने अभियान की अब तक की सबसे बड़ी रैली आयोजित की. एर्दोगन की इस ऐतिहासिक रैली में उन्होंने जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एके पार्टी) के शासन के दौरान हासिल की गई कई उपलब्धियों को रेखांकित किया.
रैली को संबोधित करते हुए एर्दोगन ने कहा कि सभी लोगों के साथ मिलकर उनकी सरकार मौजूदा शताब्दी को तुर्की के नाम स्थापित करेगी. उन्होंने इस्तांबुल के लोगों को उनको अपार और ऐतिहासिक समर्थन देने के लिए उनका धन्यवाद किया. एर्दोगन ने इशारों में कहा कि 14 मई के चुनाव इस उम्मीदवार या इस पार्टी का सवाल नहीं है, यह तुर्की को हासिल तरक्की और फायदे को बनाए रखने का सवाल है.
इस्तांबुल की महारैली में इकट्ठा हुई भीड़ यह दर्शाती है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन को हराना मुश्किल ही नहीं, लगभग नामुमकिन है. इस्तांबुल में 17 लाख समर्थकों को बुलाकर उन्होंने अपनी ताकत का खुला प्रदर्शन किया. भूकंप से बरबाद हुए इस देश में पुनर्निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही पश्चिम को संदेश कि वो अब भी अजेय हैं.
एर्दोगन की रैली में उमड़ा जनसैलाब उनके लंबे कार्यकाल के बावजूद उनकी लोकप्रियता की विलक्षणता को दर्शाता है. कयामत जैसा जलजला झेलने वाला देश, इस वक्त चुनौतियों के पहाड़ से मुकाबिल है. वहीं इस महा रैली ने एर्दोगन को विपक्ष के सामने बड़ा सियासी उछाल दिया है. उनके विरोधी इतनी भीड़ देख हैरान हैं.
बता दें कि इस्तांबुल एर्दोगन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने इसी शहर में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था. शहर के महापौर के रूप में राजनीति में कदम रखने वाले एर्दोगन ने इसी शहर से अपने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की संघर्षपूर्ण यात्रा को तय किया. रेसेप तैयप एर्दोगन ने साल 1990 के दशक की शुरुआत में महापौर के रूप में अपनी राजनितिक करियर की शुरुआत की थी.









