अपने ही घर में लोकप्रियता गंवा रहे इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष, सहानुभूति बटोरने का मंच बना G-7 समिट!

चौंकाने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी, तब भी लोकप्रियता के मामले में एक ऐसे देश में शीर्ष पर हैं जहां धार्मिक विभाजन का भी सियासी लाभ लिया जाता है और प्रधानमंत्री के शीर्ष राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को मानहानि के लिए संसद से बाहर धकेल दिया जाता है.

जापान के हिरोशिमा में 49 वां G-7 सम्मलेन चल रहा है. जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहते हैं. जनप्रिय राष्ट्राध्यक्षों के दृष्टिकोण से गौर करें तो इस साल का G-7 सम्मलेन अप्रभावी नेताओं का एक समूह बन चुका है.

लोकप्रियता के हिसाब से इस साल G-7 सम्मलेन में शामिल राष्ट्राध्यक्षों की संख्या पिछले सम्मेलन की तुलना में दोगुनी है. G-7 सम्मलेन में शामिल 7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष दुनिया के सुदूर कोनों से आते हैं. वे अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, वैचारिक दायरे में रहते हैं और उनकी उम्र 43 से 80 के बीच है. लेकिन एक बात राष्ट्रपति बिडेन और इस सप्ताह के अंत में जापान में 7 के समूह की बैठक के अन्य नेताओं में समान है? वे अपने ही देश में इतने लोकप्रिय नहीं हैं.

राष्ट्रपति बिडेन और दुनिया की प्रमुख औद्योगिक शक्तियों के उनके समकक्षों के लिए, यह लोकतांत्रिक असंतोष का युग है जब मतदाता अपने द्वारा चुने गए राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से लगातार असंतुष्ट दिखाई पड़ रहे हैं. प्रत्येक नेता अलग-अलग कारणों से अपनी लोकप्रियता गंवा रहा है. उनके साझा संघर्ष गहरे राजनीतिक और सांस्कृतिक विभाजन के समय में मुक्त समाजों की नाजुकता को उजागर करते हैं.

हालांकि इन सबसे इतर एक बात यह भी गौर करने वाली है कि भारत के प्रधानमंत्री की लोकप्रियता तमाम वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद भी बढ़ी है. हाल के दिनों में मॉर्निंग कंसल्ट द्वारा संकलित सर्वेक्षण के आंकड़ों ने संकेत दिया है कि अध्ययन किए गए 22 प्रमुख देशों में से केवल चार के नेताओं की अनुमोदन रेटिंग 50 प्रतिशत से अधिक है.

इन चार देशों में स्विट्जरलैंड, मेक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत भी शामिल है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्विट्जरलैंड के एलेन बेर्सेट, मेक्सिको के एंड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर और ऑस्ट्रेलिया के एंथनी अल्बनीस 78 प्रतिशत अनुमोदन स्कोर के साथ लोकप्रियता के मामले में शीर्ष पर हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी, तब भी लोकप्रियता के मामले में एक ऐसे देश में शीर्ष पर हैं जहां धार्मिक विभाजन का भी सियासी लाभ लिया जाता है और प्रधानमंत्री के शीर्ष राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को मानहानि के लिए संसद से बाहर धकेल दिया जाता है.

ये सब चीजें G-7 को “अकेले दिलों का क्लब” बना दिया है. एक विशेषज्ञ के वाक्यांश में कहें तो मौजूदा समय में G-7 शिखर सम्मलेन एक ऐसा आयोजन बन चुका है जहां अप्रभावी नेता अपनी घरेलू परेशानियों पर चर्चा कर सकते हैं. वो अपने व्यापारिक विचारों की सराहना कर सकते हैं. साथ ही इस बात पर भी चर्चा कर सकते हैं कि अपने वोटर्स को दोबारा उनकी वाहवाही करने वाला कैसे बनाया जा सके.

Related Articles

Back to top button