
इस बार का श्रावण महीना कई मायनों में खास है. लगभग दो दशकों बाद ऐसा संयोग बना है कि इस बार का श्रवण महीना दो महीनों तक चलेगा. यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के प्रति आस्था व्यक्त करने का त्योहार है. एक तरफ यह पर्व सीधे तौर पर हमारे जीवन और जीवनचर्या से जुड़ा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ इस पर्व का अपना एक आध्यात्मिक महत्त्व भी है.
इस बार का सावन महीना 59 दिनों तक चलेगा. इसका श्रेय “मलमास” महीने को शामिल किए जाने को दिया जाता है. जो चंद्र चक्र के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए हिंदू चंद्र कैलेंडर में डाला गया एक अतिरिक्त महीना है. चूंकि 2023 में यह अतिरिक्त महीना मौजूद है, इसलिए सावन का उत्सव सामान्य अवधि की तुलना में एक महीने लंबा हो जाएगा.
नतीजतन, भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित पारंपरिक चार सोमवार और चार मंगलवार के बजाय, 2023 में इन देवताओं की स्मृति में आठ सोमवार और आठ मंगलवार की बहुतायत देखी जाएगी. हिंदू चंद्र कैलेंडर के पांचवें महीने में पड़ने वाला प्रत्येक सोमवार (श्रावण सोमवार) भगवान शिव को समर्पित है. वहीं सावन महीने के दौरान प्रत्येक मंगलवार देवी पार्वती को समर्पित है.
मंगलवार को देवी पार्वती के लिए व्रत रखने का चलन है. द्रिक पचांग के अनुसार यह व्रत मंगल गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस पवित्र त्योहार की कथा, मिथक और महत्व का हिंदू धर्म और हिंदू चंद्र कैलेंडर पर बहुत प्रभाव पड़ता है. शायद इसी वजह से सावन को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीने के रूप में मनाया जाता है.









